चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय व सिरसा जिले के छात्र-छात्राओं ने भाई-भतीजा (आपसी सहमती) आधारित पीएचडी दाखिला प्रकिया बंद कर मैरिट आधारित दाखिला प्रक्रिया अपनाने और यूजीसी पीएचडी दाखिला अधिनियम-2022 तुरंत प्रभाव से लागू करने बारे डा. अशोक तंवर के निवास पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को ज्ञापन (Memorandum) पत्र सौंप कर विश्वविद्यालय में चल रहे पीएचडी दाखिले की मौजूदा प्रक्रिया से अवगत करवाया। छात्राओं ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पीएचडी दाखिला प्रकिया में किस प्रकार अपनी मनमानी से पूरे वर्ष दाखिले किये जाते हैं और बिना किसी विज्ञापन को जारी किये भी पीएचडी के दाखिले आपसी सहमति (भाई भतीजावाद) से कर लिए जाते हैं।
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उन्होंने सीएम के समक्ष मांग रखी कि कॉलेज के प्राध्यापकों के अंडर पीएचडी के सीट निकालें, ताकि पीएचडी सीट के संख्या बढ़ सके और स्थानीय बेटियां दाखिला ले सके। आपसी सहमति आधारित पीएचडी दाखिला प्रक्रिया बंद करने बारे। कार्यरत कर्मचारियों को 15 दिन के कोर्सवर्क करने के प्रावधान करवाने की मांग की, ताकि सिरसा के बेटियों को दूर-दराज के शहरों में और दूसरे राज्यों में उच्च शिक्षा के लिए ना भटकना पड़े। एक तरफ तो भारत सरकार द्वारा राजपत्र अधिसूचना जारी कर यूजीसी का यह अधिनियम संसद में पास किया जा रहा है तथा देश की अन्य केंद्रीय व राज्य विश्वविद्यालय की ओर से इस अधिनियम को अपनया जा रहा हैं, वहीं दूसरी तरफ चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय प्रशासन इसे मानने से पूर्णत: इंकार कर रहा है।
छात्राओं का नेतृत्व कर रही डा. रेखा रानी ने बताया कि इस बारे में हम सभी स्थानीय विद्यार्थियों ने मिलकर केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुज्जर, सांसद सुनीता दुग्गल, उपायुक्त सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को अपना मांग पत्र दे चुके हैं, किन्तु विश्वविद्यालय का यह रवैया छात्राओं को उच्च शिक्षा हासिल करने व शोध क्षेत्र में आगे बढऩे में रोड़े अटका रहा है। डा. रेखा रानी ने कड़े शब्दों में कहा कि यदि जरूरत पड़ी और विश्वविद्यालय ने यही रवैया रखा तो देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से मिल कर अपनी बात रखी जाएगी और उन्हें बताया जाएगा कि कैसे संसद में पारित अधिनियम को लागू ना कर नियमों की अवहेलना चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय द्वारा की जा रही है। (Memorandum)