लखनऊ। प्रयागराज में पैसे के अभाव में एंबुलेंस न मिलने पर एक पिता को अपने बेटे का शव कंधे पर लादकर 25 किलोमीटर दूर पैदल घर जाना पड़ा। इस मामले को उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग (UP State Human Rights Commission) ने बेहद गंभीरता से लिया है। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना पर आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बाल कृष्ण नारायण ने प्रयागराज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (Prayagraj CMO) व स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय (Swarooprani Nehru Hospital) के प्रधानाचार्य को स्थिति स्पष्ट करने के लिए आठ अगस्त को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है।
राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बाल कृष्ण नारायण ने कहा है कि प्रयागराज की इस घटना की विस्तृत जांच कराकर दोनों अधिकारी उसकी रिपोर्ट के साथ आठ अगस्त की दोपहर 12:30 बजे प्रयागराज के सर्किट हाउस स्थित आयोग के कैंप कार्यालय में उपस्थित होंगे।
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प्रयागराज में मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था। राज्य मानवाधिकार आयोग ने दैनिक जागरण में इस घटना को लेकर प्रकाशित समाचार का संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी की है। आयोग ने प्रकरण को अत्यंत गंभीर माना है। कहा है कि यह मानवाधिकार के उल्लंघन का प्रत्यक्ष उदाहरण है।
बता दें कि प्रयागराज में 14 साल के एक बच्चे की मृत्यु के बाद उसके शव का पोस्टमार्टम स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में हुआ था। एंबुलेंस संचालकों ने बालक के माता-पिता से शव ले जाने के लिए हजारों रुपये की मांग की थी, जो वे देने में असमर्थ थे। निश्शुल्क शव वाहन की व्यवस्था न होने की वजह से माता-पिता को मजबूर होकर बेटे के शव को 25 किलोमीटर तक कंधे पर ढोने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
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इस घटना का वीडियो भी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह दृश्य जिसने भी देखा उसका कलेजा दहल गया। बताया जा रहा है कि करछना के रामपुर सेमरहा गांव निवासी बजरंगी यादव के बेटे को करंट लग गया था। करंट लगने के बाद अचेतावस्था में माता पिता बेटे को लेकर एसआरएन अस्पताल पहुंचे थे। यहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
वायरल खबर के अनुसार पिता के पास इतने पैसे नहीं थे जिससे वह प्राइवेट वाहन किराए पर लेकर घर जा सके। जो कुछ पैसे वह घर से लाया था वह बेटे के उपचार में खर्च हो गए थे। यह घटना स्वरूपरानी नेहरू हॉस्पिटल (एसआरएन) की बताई जा रही है। लाचार पिता बेटे के शव को कंधे पर लादकर गांव तक गया।