सिरसा।(सतीश बंसल) बच्चे कच्चे घड़े की मानिंद होते है। उन्हें हम जिस प्रकार से ढालना चाहें, वो ढल जाते है। वर्तमान समय में स्कूलों में बच्चों को किताबी ज्ञान तो दिया जा रहा है, लेकिन उनकी भावनाओं को बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। हर बच्चे के मन में अपनी जिज्ञासा व भावनाएं हंै, लेकिन अभिभावकों के पास समय का अभाव व स्कूल में सिर्फ और सिर्फ सिलेबस पूरा करने की होड़ के चलते बच्चे अपने मन की भावनाओं को मन में ही मसोस कर रह जाते हंै। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सिरसा निवासी महिला टीचर निकिता देवगुण ने ‘द लिट्ल एक्सप्लोरर्स’ (मैगजीन) के माध्यम से बच्चों के मन की भावनाओं को पंख लगाने का प्रयास किया है।
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इस प्लेटफार्म के माध्यम से बच्चों ने न केवल अपनी स्किल को विकसित किया है, बल्कि ऐसी अद्भुत कविताएं, पेंटिंग बना डाली, जिनके बारे में बच्चे तो क्या बड़े भी नहीं सोच सकते। साथ ही इस कंसेप्ट के माध्यम से बच्चे मोबाइल की लत से भी दूर रह सकेंगे।
शहर के हिसार रोड स्थित खन्ना कॉलोनी निवासी व निजी स्कूल में बतौर एसएस टीचर नियुक्त निकिता देवगुण (एमफिल अर्थशास्त्र, एमए इतिहास, बीएड) ने बताया कि उन्होंने टीचिंग के दौरान ये महसूस किया कि बच्चों को किताबी ज्ञान तो दिया जा रहा है, लेकिन उनकी स्किल को विकसित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा। उन्होंने बताया कि सीबीएसई की ड्यूटी के दौरान केवी इंटरनैशनल स्कूल में उनकी नियुक्ति हुई। इस दौरान आईकेएस (इंडियन नोलेज सिस्टम) का एक बोर्ड था। नोलेज पर तो सभी काम कर रहे हंै, लेकिन स्किल पर काम नहीं हो रहा।
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तीन तरह से अपनी स्किल को विकसित किया जा सकता है, जैसे सबसे पहले पेंट करो, पेंट नहीं कर सकते तो कविता के रूप में लिखें, कविता नहीं तो उसे लेख के रूप में उकेरें। उन्होंने महसूस किया कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए, जिससे आने वाले समय में भारत देश को अच्छे पेंटर, लेखक व स्पीकर्स दिया जा सकें। इसी को मदद्ेनजर रखते हुए उन्होंने ठाना कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, वो बच्चों की स्किल को एक नया आयाम देने के लिए नया कंसेप्ट द लिट्ल एक्पलोरर्स के रूप में लेकर आई, जोकि ऐसा कंसेप्ट अभी तक भारत में और कहीं भी नहीं है। अभी 5 एक्सपर्ट की टीम इस कंसेप्ट पर काम कर रही है।