कोलकाता अप्रैल, 2025: ग्रामीण महिला उद्यमियों को डिजिटल अर्थव्यवस्था में सशक्त बनाने के लिए नैसकॉम (Nasscom) फाउंडेशन ने एचएसबीसी इंडिया के साथ साझेदारी की है। इस पहल के तहत दिल्ली, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 4000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। ‘महिला उद्यमियों को कौशल प्रदान करना और डिजिटल अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी बढ़ाना’ नामक इस कार्यक्रम में महिलाओं को डिजिटल और वित्तीय साक्षरता, उद्यमिता विकास, व्यवसाय प्रबंधन और ई-गवर्नेंस जैसी जरूरी स्किल्स सिखाई जाएँगी। साथ ही, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उनकी मौजूदगी बढ़ाने और कारोबार को डिजिटल रूप से मजबूत करने में भी मदद की जाएगी। (Nasscom)
सीमित डिजिटल और वित्तीय साक्षरता ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसकी वजह से वे डिजिटल टूल्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का पूरी तरह से लाभ नहीं उठा पाती हैं, जिससे उनके कारोबार का विकास रुक जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा संचालित उद्यमों ने 2.2 से 2.7 करोड़ लोगों को रोज़गार दिया है, लेकिन महिला उद्यमियों को अब भी औपचारिक ऋण प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। साथ ही, उनके लिए मिड-स्केल ग्रोथ को बढ़ावा देने वाली नीतियों की कमी है और उन्हें मार्केटिंग, टेक्नोलॉजी और बिज़नेस एडवाइज़री जैसी जरुरी सुविधाएँ भी नहीं मिल पाती हैं। यह पहल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने, उनके जीवनयापन को बेहतर करने और तकनीकी समाधानों के माध्यम से उनकी उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। (Nasscom)
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नैसकॉम (Nasscom) फाउंडेशन की सीईओ, ज्योति शर्मा ने कहा, “आर्थिक भागीदारी में लैंगिक असमानता अब भी गहराई से जड़ें जमाए हुए है और समानता हासिल करने में यह एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। यह पहल इस अंतर को खत्म करने के हमारे संकल्प को दर्शाती है। तकनीक ने समावेशन को बढ़ावा देने और समान अवसर उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाई है, और हम डिजिटल समावेशन को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि महिलाओं की आजीविका, आर्थिक सुरक्षा और आत्मनिर्भरता मजबूत हो। एचएसबीसी इंडिया के साथ मिलकर, हम इनोवेटिव टेक-इनेबल्ड समाधान विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिससे पूरे भारत में महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके और एक अधिक समावेशी और समान भविष्य की ओर कदम बढ़ाया जा सके।” (Nasscom)
एचएसबीसी ग्लोबल सर्विस सेंटर्स, इंडिया की प्रमुख, ममता मदिरेड्डी ने कहा, “एचएसबीसी में समावेशन (इन्क्लूज़न) हमारी पहचान है, और हम इसे समग्र रूप से अपनाते हैं। हम अपने ग्राहकों, कर्मचारियों और जिन समुदायों में काम करते हैं, वहाँ हमारी कोशिश यही रहती है कि एक समावेशी माहौल तैयार कर सकें। मेरा मानना है कि विकास सशक्तिकरण से आता है। यदि महिला उद्यमियों को अपने कारोबार को आगे बढ़ाना है, तो तकनीक उनकी सबसे बड़ी सहयोगी होगी। यह उन्हें आगे बढ़ने, अपनी उद्यमशीलता क्षमताओं को निखारने और सीमाओं से परे जाने का अवसर देगी। नैसकॉम फाउंडेशन के साथ हमारी साझेदारी के तहत ‘टेक फॉर गुड’ इस पहल के प्रभाव को और बढ़ाएगा, जिससे समुदाय की वंचित महिलाओं के लिए एक समावेशी मंच तैयार किया जा सके।” (Nasscom)
इस प्रोजेक्ट पर पश्चिम बंगाल में अमर कुटीर सोसाइटी फॉर रूरल डेवलपमेंट, दिल्ली-एनसीआर में सेवा भारत, कर्नाटक में हेड हेल्ड हाई फाउंडेशन और तेलंगाना व तमिलनाडु में धन फाउंडेशन द्वारा कार्य किया जा रहा है। एक प्रभावी और व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए इसे कई चरणों में संचालित किया जा रहा है। (Nasscom)
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चरण 1: सहभागिता (मोबिलाइज़ेशन)
दिल्ली, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में तीन-तीन जिलों की पहचान की जाएगी। हर जिले में 350 महिला उद्यमियों को जोड़ने के लिए विशेष कार्यकर्ता तैनात किए जाएँगे, जिससे कुल 5000 महिलाओं तक यह पहल पहुँच सकेगी।
चरण 2: क्षमता निर्माण (कैपेसिटी बिल्डिंग)
4000 महिलाओं को डिजिटल, वित्तीय और उद्यमिता कौशल के साथ-साथ सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। बेसिक और एडवांस दोनों स्तरों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें सोशल कॉमर्स, उद्यमिता, वित्तीय प्रबंधन, बिज़नेस मैनेजमेंट और सरकारी योजनाओं से जुड़े मॉड्यूल्स शामिल होंगे। प्रशिक्षण के बाद, महिलाओं को इन-पर्सन सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि उनके सभी सवालों के जवाब दिए जा सकें और वे डिजिटल रूप से निपुण हो सकें।
चरण 3: व्यवसाय सशक्तिकरण (बिज़नेस एनैबलमेंट)
अंतिम चरण में 2000 महिला उद्यमियों को बिज़नेस रजिस्ट्रेशन, डिजिटल अकाउंटिंग और वित्तीय सहायता (जरुरत के आधार पर) प्रदान की जाएगी। इससे वे अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकेंगी और डिजिटल अर्थव्यवस्था में मजबूत पकड़ बना सकेंगी। समग्र सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम यह सुव्यवस्थित प्रक्रिया महिला उद्यमियों को व्यापक सहयोग प्रदान करती है और उनके लिए सतत विकास सुनिश्चित करती है। डिजिटल बदलाव एक निरंतर यात्रा है। ऐसी पहलें महिलाओं को जरुरी ज्ञान और उपकरण देकर सशक्त बनाती हैं, जिससे वे डिजिटल अर्थव्यवस्था में सफल हो सकें। तकनीकी बाधाओं को पार कर ये महिला उद्यमी नए बाज़ारों तक पहुँच बना सकेंगी, अपने व्यवसाय का विस्तार सकेंगी और अपने समुदाय में रोज़गार के अवसर बढ़ा सकेंगी। (Nasscom)