इस्लामाबाद। पाकिस्तान की तंगहाली जगजाहिर है। पाकिस्तान में शहबाज शरीफ सरकार आने के बाद भी वहां की जनता को महंगाई से राहत नहीं मिली है। शहबाज के महंगाई पर रोक लगाने के वादे अब खोखले साबित हो रहे हैं। लोगों को महंगे ईंधन के चलते खाने-पीने की चीजों पर भी अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ रही है। इसी के चलते अब पड़ोसी देश की महंगाई दर में बड़ा इजाफा देखने को मिला है। पाकिस्तान में संवेदनशील मूल्य सूचकांक (एसपीआई) द्वारा मापी गई मुद्रास्फीति दर में बड़ा उछाल आया देखने को मिला था। वहीं अब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) से पता चलता है कि जून 2022 पिछले 13 वर्षों में सबसे महंगा महीना साबित हुआ। पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) द्वारा शुक्रवार को साझा किए गए आंकड़ों से इस बात का खुलासा हुआ है। जून 2021 (साल-दर-साल वृद्धि) की तुलना में जून में मुद्रास्फीति 21.32 प्रतिशत और पिछले महीने (महीने-दर-महीने वृद्धि) की तुलना में 6.32 प्रतिशत बढ़ी।
सीपीआई में इस तरह का भारी बदलाव आखिरी बार दिसंबर 2008 में देखा गया था जब साल-दर-साल मुद्रास्फीति 23.3 प्रतिशत थी। 12 में से 10 के तहत वस्तुओं ने कीमतों में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की, परिवहन 62 प्रतिशत महंगा हो गया और खाद्य और पेय पदार्थ समा टीवी की रिपोर्ट के अनुसार 25.92 प्रतिशत अधिक लागत। ‘आवास, पानी, बिजली, गैस और ईंधन’ श्रेणी के तहत आइटम 13.48 प्रतिशत अधिक महंगे हो गए हैं। फर्निशिंग और घरेलू उपकरणों की लागत अब जून 2021 की तुलना में 18.76 प्रतिशत अधिक है।
स्वास्थ्य देखभाल भी 11.30 प्रतिशत अधिक महंगी हो गई है, जबकि कपड़ों और जूतों की कीमतों में 13.72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। शिक्षा और संचार लागत में 9.49 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई और क्रमशः 1.96 प्रतिशत। एकल अंकों की मुद्रास्फीति के साथ ये केवल दो समूह हैं। ग्रामीण आबादी शहरी आबादी की तुलना में थोड़ी अधिक मजबूती से प्रभावित हुई है, सीपीआई ग्रामीण मुद्रास्फीति 23.6 प्रतिशत और सीपीआई शहरी मुद्रास्फीति 19.8 प्रतिशत है। सीपीआई के आंकड़े बताते हैं कि कैसे आम आदमी का जीवन मुश्किल हो गया है। आटा और दाल सहित मुख्य खाद्य पदार्थ 16 फीसदी से 74 फीसदी तक महंगे हो गए हैं। खाद्य तेल और घी की कीमत अब जून 2021 की तुलना में 80 प्रतिशत अधिक है। केवल चीनी और मूंग दाल की कीमतों में कमी आई है।