नई दिल्ली। गुजरात के जामनगर में बन रहे ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर के खिलाफ दायर जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर कानून के तहत चिड़ियाघर और रेस्क्यू सेंटर है। इसमें विवाद की कोई वजह नजर नही आ रही है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने बिना किसी ठोस वजह के और केवल कुछ न्यूज रिपोर्ट के आधार पर याचिका दाखिल कर दी है। याचिकाकर्ता अपने पक्ष में कोई पुख्ता साक्ष्य प्रस्तुत नही कर सका।
जनहित याचिका में रिलायंस के ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर पर भारत और विदेशों से जानवरों को लाने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। साथ ही इस गैर-लाभकारी संगठन के संचालन और प्रबंधन की जांच के लिए एक एसआईटी की भी मांग कोर्ट के सामने रखी गई थी। जिसे कोर्ट ने पूरी तरह खारिज दिया।(जामनगर)
कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर ने तेंदुआ बचाव केंद्र और मगरमच्छ बचाव केंद्र सहित अपने कामकाज के विभिन्न पहलुओं का विवरण दिया। कोर्ट ने सेंटर में जानवरों की मदद के लिए उपलब्ध डॉक्टर्स, क्यूरेटर, जीवविज्ञानी, प्राणी विज्ञानी और अन्य विशेषज्ञों की उपलब्धता और उसके बुनियादी ढांचे को नोटिस किया और पाया कि संगठन को जानवरों के संचालन और हस्तांतरण के लिए दी गई अनुमति और उसकी सभी गतिविधियां कानूनी और अधिकृत हैं।