नई दिल्ली। सरकार ने मतदाता सूची के साथ आधार विवरण को जोड़ने की अनुमति देने के लिए मतदाता पंजीकरण नियमों में संशोधन किया है। इसके जरिये दोहरी (डुप्लीकेट) प्रविष्टियों को हटाया जा सकेगा और ‘सर्विस वोटर’ के लिए चुनाव संबंधी कानून को लैंगिक रूप से तटस्थ (न्यूट्रल) बनाया जा सकेगा। दूर-दराज के इलाकों में तैनात सैनिकों या विदेश में स्थित भारतीय मिशन के सदस्यों को ‘सर्विस वोटर’ माना जाता है।
मौजूदा मतदाताओं को अपना आधार नंबर साझा करने की अनुमति देने के लिए एक नया फार्म-6बी लाया गया है। केंद्रीय कानून मंत्रालय के विधायी विभाग ने शुक्रवार रात अधिसूचना जारी कर कहा कि पिछले साल दिसंबर में संसद द्वारा पारित चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम के प्रविधानों के अनुरूप नियमों में संशोधन किया गया है। निर्वाचक रजिस्ट्रेशन (संशोधन) नियम, 2022 एक अगस्त से लागू होगा।
अधिसूचना में कहा गया है कि एक अप्रैल 2023 या उससे पहले जिस व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में शामिल होगा, वह अपना आधार नंबर जोड़ सकेगा। जिसके पास आधार कार्ड नहीं है, उसके पास मनरेगा कार्ड, श्रम मंत्रालय की योजना के तहत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और पैन कार्ड जैसे अन्य प्रमाण साझा करने का विकल्प होगा।
अब किसी वर्ष एक जनवरी या एक अप्रैल या एक जुलाई या एक अक्टूबर को 18 साल की आयु पूरी करने वाला नागरिक तत्काल मतदाता के तौर पर रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर सकेगा। चुनाव संबंधी कानून को लैंगिक रूप से ‘न्यूट्रल’ बनाए जाने के लिए ‘पत्नी’ शब्द को हटा कर ‘जीवनसाथी’ शामिल किया गया है। इससे ‘सर्विस वोटर’ की पत्नी या पति को मतदान के लिए उपलब्ध सुविधा हासिल होगी।