अमरावती :: (आंध्र प्रदेश) वी आई टी –ए पी. विश्वविद्यालय,में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और.जियो क्लाइमेट रिस्क सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से ” पर्यावरण के संकट और भविष्य के उलझनें” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है। यह दो दिवसीय वर्चुअल सम्मेलन शनिवार 7 मई 2022 को शुरू हुआ और 8 मई 2022 को संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री संजय जल्ला, मिशन प्रमुख, SICOM पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वी आई टी – ए पी विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. एस.वी. कोटा रेड्डी की उपस्थिति में किया। अपने भाषण के दौरान, श्री जल्ला ने कहा, यदि मौसम में हो रहे नकारात्मक परिवर्तनों और उसके दुष्प्रभावों से निजात पाना हो तो हमें वातावरण के लिये हानिकारक उत्पादों तथा प्राकृतिक संसाधनों के अनावश्यक उपभोग पर अंकुश लगाना होगा।
यह सम्मेलन पर्यावरण को केन्द्र में रख, समाज के अत्यावश्यक सुविधाओं को प्रदान करने हेतु अनुकूल योजनाओं, आर्थिक एवं कानूनी नीतियों को अपनाने जैसे विषयों पर संवाद को जारी रखा। आमंत्रित अतिथियों एवं वक्ताओं में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्र के शिक्षाविद, नीति निर्माता, और अनुभवी बुद्धिजीवि शामिल थे जिनका मुख्य लक्ष्य पर्यावरण के संकट पे एक दूसरे के सहयोग और सहभागिता से सविस्तार चर्चा करना था।
डॉ. एस.वी. कोटा रेड्डी, कुलपति, वी आई टी – ए पी विश्वविद्यालय ने वातावरण परिवर्तन के विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिभागियों का स्वागत कियें। उन्होंने पर्यावरण परिवर्तन के खिलाफ किये जाने वाले सक्रिय उपाय के महत्व को बल दिया। उन्होंने कहा कि वी आई टी – ए पी का उद्देश्य परिसर में सोलर पीवी पैनल लगाकर इन – हाउस ऊर्जा खपत को कम करना है। संयुक्त राज्य अमेरिका और मध्य पूर्व से आमंत्रित अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं ने वातावरण परिवर्तन के मुद्दों पर एक बहुआयामी वैश्विक परिप्रेक्ष्य प्रदान किया। टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय से डॉ देबजानी घटक ने गर्मी की लहरों और भारतीय पर्यावरण की समस्याओं पर अपने शोध को साझा किया और स्विस बिजनेस काउंसिल, अबू धाबी के श्री माटेओ बोफा ने सफल, टिकाऊ व्यवसाय चलाने की आशाजनक संभावनाओं पर एक अत्यधिक आकर्षक बात की।
इस सम्मेलन में डॉ. रजनीश मिश्रा, डीन वी आई टी – ए पी, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज, डॉ सुष्मिता श्यामसुंदर एसोसियेट डीन, डॉ तानिया चक्रवर्ती, डॉ अरेंकला किचू, डॉ प्रियंका घोष, सुश्री कनका हिमाबिंदु, पोट्टुमुथु और अन्य विद्वान भी उपस्थित थे।