नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में पांच सदस्यीय कोलेजियम (Collegium) के दो जजों ने शीर्ष अदालत में चार जजों की नियुक्ति के प्रस्ताव संबंधी नोट पर लिखित सहमति देने पर आपत्ति व्यक्त की है। प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित के नेतृत्व वाले पांच सदस्यीय कोलेजियम ने हाल ही में बांबे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता को शीर्ष अदालत के जज के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की थी।
कोलेजियम ने कुछ अन्य नामों पर भी विचार-विमर्श किया (Supreme Court Collegium)
सूत्रों के मुताबिक, शीर्ष अदालत में बाकी चार रिक्तियों के लिए कुछ अन्य नामों पर कोलेजियम (Collegium) ने विचार-विमर्श किया था। प्रधान न्यायाधीश के अलावा कोलेजियम में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल हैं।
सूत्रों का कहना है कि दशहरे की छुट्टियों से पहले आखिरी कार्यदिवस 30 सितंबर को कोलेजियम की बैठक नहीं हो पाई थी क्योंकि कोलेजियम का एक सदस्य उपलब्ध नहीं था। अब सुप्रीम कोर्ट 10 अक्टूबर को बैठेगा। इसी वजह से हाई कोर्टों के तीन मुख्य न्यायाधीशों और शीर्ष कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील की सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में नियुक्ति पर कोलेजियम के सदस्य जजों से लिखित स्वीकृति प्राप्त करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा गया था।
परंपरा के मुताबिक, उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए संभावित नामों पर चर्चा के बाद कोलेजियम के सदस्य प्रस्तावों पर हस्ताक्षर करते हैं। बताते हैं कि कोलेजियम(Collegium) के दो सदस्यों ने परंपरा तोड़कर आमने-सामने बैठक करने के बजाय सर्कुलेशन के जरिये बैठक करने और ऐसे प्रस्ताव पर लिखित स्वीकृति देने पर कुछ आपत्ति जताई है।
प्रस्ताव पर पंजाब एवं हरियाणा, पटना और मणिपुर हाई कोर्टों के मुख्य न्यायाधीशों क्रमश: जस्टिस रवि शंकर झा, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस पीवी संजय कुमार के अलावा वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन के नामों पर स्वीकृति मांगी गई थी।