बरनावा। सिरसा, 20 फरवरी। (सतीश बंसल) डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां देश (Welfare work) की जवानी को नशों रूपी राक्षस से बचाने के लिए निरंतर जुटे हुए है। आपजी ने समाज को नशे केप्रति जागरूक करने के लिए डेप्थ मुहिम चलाकर मेडिटेशन के माध्यम से नशे से दूर कर रहे है। आपजी ने रविवार को डेप्थ मुहिम को स्पोट करती सेफ कैंपेन (एसएएफई) मुहिम शुरू की। जिसके तहत डेप्थ मुहिम के माध्यम से नशा छोड़ने वाले नौजवानों को हैल्दी डाइट दी जाएगी। इस मुहिम की शुरूआत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने स्वयं शाह सतनाम जी आश्रत बरनावा से रविवार को की। मुहिम के तहत नशा छोड़ने वाले युवाओं को 15 या एक महीने की पौष्टिक डाइट किट दी जाएगी। जिसमें आर्गेनिक प्रोटीन प्रोडक्ट, चने, ईसवगोल व ओआरएस घोल के पैकेट दिए जाएंगे। इसके अलावा किट में ड्राईफ्रूट भी दिए जाएंगे, ताकि जो नौजवान नशा छोड़ते है वो पूरी तरह से तंदुरुस्त हो जाए।
‘आशीर्वाद मांओं का’ सांग यू-ट्यूब पर लांच
नशा से समाज को जागरूक करने के लिए पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रविवार को एक और हरियाणवी गीत ‘आशीर्वाद मांओं का’ यू-ट्यूब पर लांच किया। इस गीत की खास बात यह है कि यह युवाओं में देश के प्रति जोश और जज्बा पैदा करता है। गीत लांच होने के चंद मिनटों बाद ही जहां प्रत्येक वर्ग द्वारा पसंद किया जा रहा है। वहीं यू-ट्यूब पर खूब लाइक, कॉमेंट बटोर रहा हैं। (Welfare work) ‘आशीर्वाद मांओं का’ गीत के माध्यम से पूज्य गुरु जी ने शहर व गांवों के सरपंच व मेयर सहित गणमान्य जनों से आह्वान किया है कि वो नशे से मर रहे नौजवानों को नशों से बचाकर उनकी मांओं से आशीर्वाद प्राप्त करें। क्योंकि आप अपने-अपने गांव व शहर के मौजिज लोग है तथा आप नशे पर लगाम लगा सकते हैं। चार मिनट और 35 सैंकिड के इस गीत में पूज्य गुरु जी ने बताया कि आज हर गांव, शहर व नुक्कड़ मौहल्ले में लड़कों के साथ-साथ लड़कियां भी नशे में डूबी हुई है और मौत के आगोश में जा रही है।
वीडियो सीन में हरियाणवी खिंडका पहने पूज्य गुरु जी ने बता रहे हैं कि किसी भी धर्म में नशा करने को नहीं कहा गया है, लेकिन फिर भी नशा बढ़ता जा रहा है, इसलिए नशा बेचने वालों का पीछा करो और पहरा लगाकर इसको रोक दो तथा हरियाणवी खिडंका की लाज रख लो। इसके अलावा गीत में पूज्य गुरु जी ने आह्वान किया है कि जो दुकानदार नशा बेचता है, उसे रोकें और अगर नहीं रूकते तो सख्ती दिखाते हुए उनपर जुर्माना लगाओ। इसके अलावा जो नशा करते है उन्हें राम का नाम दिलवा दो जिससे उनका नशा छूट जाएगा।
गौरतलब है कि इससे पहले डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां ने देश को नशे के खिलाफ जागरूक करने के लिए ‘जागो दुनिया दे लोको’ व ‘मेरे देश की जवानी’ दो गीत लांच कर चुके हैं। इन गीतों में भी गुरमीत राम रहीम सिंह ने नशे के खिलाफ गांव-शहर स्तर पर एकजुट होने का संदेश दिया था। जिसे ग्राम पंचायतों द्वारा सराहा जा रहा है। इन गीतों को करोड़ों लोग सोशल मीडिया पर देख चुके हैं।
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गुरमीत राम रहीम सिंह ने ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से रूहानी सत्संग फरमाते हुए कहा कि आज का दौर, आज का समय अपने आप में एक अलग तरह का समय है। इस समय में हाथ को हाथ खाए जा रहा है। स्वार्थ का बोलबाला है। कौन अपना, कौन पराया आदमी समझ नहीं पाता। तो आदमी के अंदर कई तरह के सवाल उठते हैं, जैसे क्या आज के दौर में, आज के समय में आदमी खुश रह सकता है। (Welfare work) दूसरे शब्दों में आज के दौर में खुशी से जीवन जीया जा सकता है? तो इसका जवाब है जी हां, ऐसा संभव है। क्या इसके लिए कोई दवाई, क्या कोई इसके लिए संसाधन लाने पड़ेंगे। जी नहीं, कोई दवाई की जरूरत नहीं, कोई अलग से संसाधन खरीदने की जरूरत नहीं।
खुश रहने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आपके दिमाग में जो अनाप-शनाप चलता है, लगातार नेगेटिव चलता है, उसको कंट्रोल करना है और दिमाग के इन विचारों को कंट्रोल करने के लिए तरीका है गुरु मंत्रा, नाम शब्द, कलमा, मैथ्ड ऑफ मेडिटेशन। गुरु मंत्र का जाप करो, आपके अंदर आत्मबल आएगा, आत्मिक शांति आएगी। गुरु मंत्र का जाप करो जिससे आपके डीएनए के सैल पॉवर फुल बनेंगे। जो आपके माइंड को रीफ्रेश कर देंगे, पूरी तरह से फ्रेश कर देंगे और जब डीएनए के सैल पॉवरफुल है तो दिमाग में विचार भी पॉवरफुल होंगे तथा विचारों का पॉवरफुल होना ही खुश रहने के लिए एक सबसे बड़ा संकेत है। तो मेडिटेशन, गुरु मंत्र का जाप करने से डीएनए के सैल पॉवरफुल हो जाते है। डीएनए माइंड को पॉजिटिविटी और अच्छाई के संदेश भेजता है। जब दिमाग में अच्छाई के संदेश आ जाते है तो अपने आप चेहरे पर मुस्कान खिल उठती है।
गुरमीत राम रहीम सिंह ने फरमाया कि कई बार लोग ये भी पूछते है कि मेडिटेशन क्या है ? मेडिटेशन का शाब्दिक अर्थ है ध्यान। कौन सा ध्यान, आप कहते है कि मैं घर से बाहर जा रहा हूँ मां घर का ध्यान रखना। भाई साहब घर का ध्यान रखना। आप खेतों में काम धंधा करते हैं, तो समझदार आदमी, (Welfare work) जानकार आदमी दूसरे को कहता है कि ध्यान से करना ये काम। दुकान में काम करते है तो आप कहते हैं कि यह कांच का सामान है, इसको ध्यान से उठाकर रखना। ये ध्यान शब्द तो जगह-जगह इस्तेमाल आता है। लेकिन मेडिटेशन में कौन से ध्यान का जिक्र किया गया है। अपने इन सभी ध्यानों को एक जगह एकत्रित करना है।
आपके विचार आप बैठे कहीं और हो और चल कहीं और रहे होते है। उस ध्यान को एकाग्र करने को ही मेडिटेशन कहते है। क्या ध्यान एकाग्र हो जाएगा ? जी हां, हो जाता है। कैसे, आप अपने दोनों आंखों के बीच नाक के ऊपर माथे के बीच ललाट माथे की यह जगह, जिससे दसवां द्वार, तिल ज्ञान चक्षु, मेहराब, वैरी-वैरी डीपली प्वाइंट कहा जाता है। तीसरी आंख या दसवां दरवजा। दो आंखे है, तीसरी नैचुरली बंद है। नौ दरवजे खुले है, बाहर से जो दिखते है। दो कान, दो आंख, दो नाक, एक मुंह और दो इंद्रिया ये खुले दिखते है। ये बॉडी के खुले दरवाजे है। लेकिन दसवां बंद है। तो आपने करना क्या है, अपनी आंखे बंद करनी है, गुरु मंत्र भगवान के वो शब्द जो गुरु ने प्रेक्टिकली करके देखे हो। उसे कहते है गुरु मंत्र या नाम शब्द या कलमा या मैथ्ड ऑफ मेडिटेशन, वो लें, ध्यान को ललाट वाली जगह पर लगाए और फिर अभ्यास करें। पहले जिव्हा से, फिर ख्यालों से। अगर आपका ध्यान भटक रहा है तो एकांत में जाइये। बंद कमरा कीजिए, उसमें थोड़ा सा बोल कर ऊंची आवाज में जाप कीजिए। इससे क्या होगा ?।
जब आप जिव्हा से जाप करते है तो दिमाग और जिव्हा । जब आप ध्यान से करते है सिर्फ दिमाग लेकिन जब बोल के करेंगे तो आपकी सारी ज्ञान इंद्रियां बिजी हो जाएंगी। आपकी बोलने की शक्ति, सुनने की शक्ति, देखने की शक्ति, सूंघने की शक्ति, स्पर्श क्योंकि जिव्हा से बोल रहे हैं तो स्पर्श हो रहा है। (Welfare work) आप हाथ जोड़े है तो स्पर्श हो रहा है। तो इस तरह दिमाग सुन रहा है आप जब सारी शक्तियों को एक ही शब्द सुनाएंगे, तो उनको हार मान के , बाकी तरफ से ध्यान हटा के ललाट वाली जगह पर ध्यान लगाना पड़ेगा और यही मेडिटेशन है जो भगवान तक लेकर जाता है।
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गुरमीत राम रहीम सिंह ने आगे फरमाया कि जब ध्यान जम गया, ललाट वाली जगह पर ध्यान आ गया, एक छोटा सा तारा नजर आया, छोटी सी रोशनी, दिए की लौ जितनी, आंख बंद , आप ध्यान में बैठे है, नॉर्मली कुर्सी पर बैठो, सोफे पर बैठो, सबसे बढ़िया पालथी, पालथी मारकर बैठो, या वज्रासन, घुटने आगे मारकर, पीछे एड़ियों पर अपनी बैक रखे, हिप रखें तो इस तरीके से आप जैसे ही गुरुमंत्र का जाप करेंगे तो शुरूआत आपकी बॉडी की रिपेयर से होगी। जहां-जहां बॉडी में परेशानी है, टेंशन है, वो दूर होने लगेगी। कोई दुख रोग है उसमें आराम आने लगेगा। क्योंकि सोने के समय जैसे बॉडी रिपेयर करती है, मेडिटेशन में जागते कई गुणा ज्यादा रिपेयर करना शुरू कर देती है। क्योंकि एक्टिव मोड़ में होती है बॉडी। तो आपके डीएनए के सैल पावरफुल होते जाएंगे। आपके अंदर आत्मबल आता जाएगा और उससे आप दुनिया के हर एक अच्छे क्षेत्र में तरक्की हासिल करेंगे।
आपको आगे बढ़ने की शक्ति मिलती जाएगी। आत्महत्या की सोच आपकी जड़ से खत्म हो जाएगी। जीवन जीने में आन्नद आने लग जाएगा और आप खुशमय जीवन जीने के हकदार बनते चले जाएगे। मेडिटेशन के बहुत सारे फायदे है अगर आप करें तो। आपके हर काम धंधे में बरकत आएगी, (Welfare work) तरक्की आएगी, आप अपने शरीर को तंदुरुस्त रख पाएंगे। गम-चिंता मुक्त जिंदगी जी पाएंगे। दुनिया क्या कहती है, आपको क्या गलत बोलती है, लेशमात्र भी असर मेडिटेशन आप पर नहीं आने देता।
मेडिटेशन आदमी को मस्त हाथी की तरह बना देता है। यकीन मानों मेडिटेशन से इंसान का विल पॉवर इतना बढ़ेगा कि आपको कोई कितना भी गलत बोलता फिरे, ना आपको गुस्सा आए, ना आप पे कोई असर हो और ना ही आपको कोई टेंशन हो, क्या इससे अच्छी जिंदगी कोई ओर हो सकती है। वरना जरा सी बात कही और करंट आ जाता है एक दम से। तो इस तरह से मेडिटेशन कंट्रोल करता है। तो इस तरह से खुशियां देता है।
कई लोग डिप्रेशन में चले जाते है, दिमाग पर बोझ पड़ जाता है, जरा जरा सी बात की टेंशन ले लेते है। एक मन और उसका जो दिमाग है इकट्ठा होकर एक ऐसा तंग दायरा उसके इर्द-गिर्द बना देते है कि वो उससे बाहर नहीं निकल पाता। यानि वो कहता है कि मेरे जीने का कोई फायदा नहीं, अब मैं नहीं रह सकता, अब तेरे लिए कोई कुछ नहीं करता, तेरा कोई अपना नहीं, तेरा कोई सगा नहीं, तेरा कोई साथी नहीं, सब मतलबी है, सब गर्जी है, तूं यहां जी ही नहीं सकता आदि बातें जब इंसान के दिमाग में ज्यादा घूमती है तो यानी बातों का घूमना ही इंसान को पजल करता है।
नैगेटिव बाते जितनी ज्यादा घूमती जाती है, उतना ही आदमी डिप्रेशन में ज्यादा चला जाता है। दिमाग पर बोझ पड़ना शुरू हो जाता है। क्या संभव है बिना दवाई के, (Welfare work) बिना घर बार छोड़े डिप्रेशन से मुक्ति मिल जाए। जी हां ऐसा संभव है और ये तरीका है गुरु मंत्र, मैथ्ड ऑफ मेडिटेशन। होता क्या है कि आदमी के अंदर लगातार वो नैगेटिव चीजें घूम रही है, जिससे आदमी की टेंशन बढ़ जाती है और आदमी आत्महत्या तक चला जाता है। पर जैसे ही गुरुमंत्र लिया तो जाप आप ने करना है, जिव्हा से करो, एक कमरे में बोल-बोल के करो, तो आपका माइंड व्यस्त हो गया गुरु मंत्र में, मेडिटेशन में और इससे जो बुरे विचार चल रहे थे उनको विराम मिल गया, वो रूक गए।
लगातार अभ्यास करने से इंसान की सारी ज्ञान इंद्रियां व्यस्त हो जाएगी और नेगेटिव विचार को विराम मिल जाएगा और दिमाग में पॉजिटिविटी बढ़ जाएगी। जैैसे जैसे पॉजिटिविटी बढ़ती जाएगी तो इंसान का डिप्रेशन दूर होता चला जाएगा और आप सौ पसेंट तंदुरूस्त हो जाएंगे। (Welfare work) तो इस तरह से बिना दवा लिए और बिना कोई खर्चा किए इंसान डिप्रेशन से निकल सकता है। मेडिटेशन में बहुत शक्ति है, बहुत ताकत है अगर कोई सही ढंग से उसका जाप करें।