नई दिल्ली। shortage of electricity: देश क्या एक बार फिर बड़े बिजली संकट में फंसने जा रहा है। संकेत पर गौर करें तो कुछ ऐसा ही दिखाई देता है। घरेलू कोयला उत्पादन में ज्यादा वृद्धि नहीं हो रही है जबकि बिजली की मांग बढ़ने से कोयला आधारित बिजली संयंत्रों पर ज्यादा उत्पादन का दबाव है। दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयला इतना महंगा हो चुका है कि आयातित कोयले से बिजली बनाने वाले संयंत्रों ने तकरीबन आयात बंद कर दिया है। हालात की जानकारी केंद्रीय बिजली मंत्रालय को भी है।
सरकार ने लिया जायजा
यही वजह है कि मंगलवार को बिजली मंत्री आरके सिंह ने आयातित कोयला आधारित संयंत्रों के साथ-साथ राज्यों की तरफ से आयात किए जाने वाले कोयले की स्थिति समीक्षा की। उन्होंने घरेलू कोयले की दिक्कत को देखते हुए सभी ताप संयंत्रों को 10 प्रतिशत तक आयातित कोयला घरेलू कोयले में मिलाने का सुझाव दिया है, लेकिन जिस तरह से कोयला मंहगा हुआ है उसे देखते हुए इस सुझाव पर अमल होना असंभव दिख रहा है।
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कोयले की आपूर्ति घटकर 8.4 दिनों की रह गई
केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक एक अप्रैल, 2022 को देश में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के पास बिजली बनाने के लिए 9.4 दिनों का कोयला था। 12 अप्रैल को इनके पास कोयले की आपूर्ति घटकर 8.4 दिनों रह गई है। जबकि नियमानुसार इन संयंत्रों के पास 24 दिनों का स्टाक होना चाहिए। वैसे पिछले वर्ष के अक्टूबर-नवंबर, 2021 के मुकाबले कोयला आपूर्ति की स्थिति अभी अच्छी है लेकिन जिस तरह के संकेत बन रहे हैं वो चिंताजनक हैं।
बिजली कटौती (shortage of electricity) की खबरें
गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, हरियाणा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से आधिकारिक तौर पर की जाने वाली बिजली कटौती बढ़ने की खबरें आने लगी हैं। एक वजह यह है कि भयंकर गर्मी से बिजली की मांग बढ़ने लगी है और दूसरी वजह यह है कि आयातित कोयले पर आधारित निजी क्षेत्री की बिजली कंपनियों के संयंत्रों से उत्पादन का स्तर लगातार घट रहा है।
400 डालर प्रति टन थी कोयले की कीमत
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत कुछ समय पहले 400 डालर प्रति टन हो गई थी जो अब घटकर 300 डालर प्रति टन के स्तर पर है। दूसरी तरफ आयातित कोयले पर आधारित बिजली संयंत्रों का कहना है कि 150 डालर प्रति टन से ज्यादा कीमत पर कोयला देश में लाकर बिजली बनाने का कोई फायदा नहीं है। वजह यह है कि पहले इन्हें घरेलू बाजार में 20 रुपये प्रति यूनिट की कीमत तक बिजली बेचने की इजाजत थी लेकिन अप्रैल, 2022 के पहले हफ्ते में बिजली नियामक आयोग ने यह सीमा घटाकर 12 रुपये प्रति यूनिट कर दी है। देश में आयातित कोयले पर आधारित बिजली संयंत्रों की क्षमता 16,730 मेगावाट है।