चीनी स्मार्टफोन कंपनी शाओमी (Xiaomi) के ग्लोबल वाइस प्रेसिडेंट और कंपनी की भारत इकाई के पूर्व प्रमुख मनु कुमार जैन ने इस्तीफा दे दिया है। वह शाओमी के साथ नौ साल से जुड़े हुए थे। कंपनी भारत में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के कथित उल्लंघनों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ कानूनी विवाद में है।
जैन ने एक ट्वीट में कहा, “पिछले नौ सालों में मुझे बहुत समर्थन मिला है और अलविदा कहना बहुत मुश्किल है। आप सभी को धन्यवाद। एक यात्रा का अंत भी एक नई शुरुआत है।” जैन ने भारत में कंपनी के कारोबार को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें करीब पांच साल पहले शाओमी का ग्लोबल वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया था। वह भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका में Xiaomi के कारोबार का नेतृत्व कर रहे थे। जैन ने कहा, “जैसे-जैसे हमारा कारोबार बढ़ता है, इसने भारत में 50,000 से अधिक नौकरियां पैदा करने में मदद की है।”
शाओमी ने पिछले महीने अपनी कई यूनिट्स से कर्मचारियों की छंटनी शुरू की थी। कंपनी की योजना अपने कर्मचारियों की संख्या में करीब 15 फीसदी की कटौती करने की है। सितंबर के अंत में Xiaomi के कर्मचारियों की संख्या 35,314 थी। इनमें से 32,000 से अधिक चीन में हैं। कंपनी के इस फैसले से हजारों कर्मचारी प्रभावित हो सकते हैं. चीन में कोरोना को फैलने से रोकने के लिए कई शहरों में लॉकडाउन लगाया गया था. इससे इलेक्ट्रॉनिक्स की मांग घटी है। हालाँकि, Xiaomi यूरोप में बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में कामयाब रहा है।
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भारत में कंपनी की इकाई पर अपने बैंकर डॉयचे बैंक को वर्षों से गलत जानकारी देने का आरोप लगाया गया है। कंपनी ने दावा किया था कि उसके पास रॉयल्टी के भुगतान का समझौता है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था। कंपनी के खिलाफ जांच में पाया गया है कि उसने अमेरिकी चिप निर्माता क्वालकॉम और अन्य को रॉयल्टी के ‘शीर्षक’ के तहत ‘अवैध रूप से’ धन भेजा था। ड्यूश बैंक के एक अधिकारी ने जांच अधिकारियों से कहा था कि भारतीय कानून के तहत रॉयल्टी भुगतान के लिए भारत में श्याओमी की इकाई और क्वालकॉम के बीच एक कानूनी समझौते की आवश्यकता है। कंपनी ने डॉयचे बैंक से कहा कि उसका इस तरह का समझौता हुआ है, जबकि ऐसा नहीं हुआ। (Xiaomi