सिरसा। (सतीश बंसल) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा दिव्य योग साधना मंदिर में (Tradition) अपने स्वास्थ्य जाग्रति कार्यक्रम आरोग्य के अंतर्गत दो दिवसीय नि:शुल्क विलक्षण योग शिविर का आयोजन किया गया। भारतीय संस्कृति की मर्यादा बनाये रखते हुए कार्यक्रम का आरम्भ विधिवत् मंत्रोच्चारण के साथ हुआ।
शिविर के प्रथम दिवस संस्थान की ओर से आशुतोष महाराज के शिष्य योगाचार्य स्वामी विज्ञानानंद ने भारतीय संस्कृति की उत्कृष्ट विरासत योग की महानता से परिचित कराते हुए योग साधकों को बताया कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह तन, मन और आत्मा की एकात्म अवस्था का परिचायक है, मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है, संयम और पूर्ति प्रदायक तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। इसीलिए गौरवान्वित होकर यह कहा जा सकता है कि सम्पूर्ण विश्व में आर्यावर्त भारतीय योग मनीषियों द्वारा प्रदत्त योग पद्धति को उत्कृष्ट निधि के रूप में सर्वसम्मति से समग्र राष्ट्रों द्वारा अग्रगण्य स्वीकार किया गया ।
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वस्तुत: संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने दिसम्बर 2014 में प्रतिवर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का संकल्प पारित किया। योग की रहस्यात्मक विवेचना पर प्रकाश डालते हुए स्वामी ने बताया कि आज मूलत: कुछ योगासनों और प्राणायामों को ही सम्पूर्ण योग पद्धति स्वीकार कर लिया जाता है। (Tradition) जब कि ऐसा नहीं है। योग शब्द संस्कृत की युज धातु से बना है। जिसका अर्थ होता है जुडऩा।
अर्थात् हमारे तन, मन और आत्मा की एकात्म अवस्था ही योग है। महर्षि पतंजलि ने योग की परिभाषा देते हुए कहा है कि योग: चित्त वृत्ति निरोध: अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। फिर ही योग: कर्मसु कौशलम की अवधारणा सिद्ध होती है। स्वामी जी ने पतंजलि योग सूत्र के अनुसार साधकों को ताड़ासन, दण्डासन, कटिचक्रासन, अद्र्ध चंद्रासन, द्विचक्रिकास, भुजंगासन, नाड़ीशोधन, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम इत्यादि का विधिवत् अभ्यास करवाते हुए इनके वैज्ञानिक पक्ष द्वारा दैहिक लाभों से परिचित भी करवाया।
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जीविका प्रकल्प के अंतर्गत नि:शुल्क आयुर्वेदिक स्वास्थ्य शिविर (Tradition) भी आयोजित किया गया, जिसमें वैद्य राज कुमार द्वारा योग साधकों का नाड़ी परीक्षण कर उपस्थित जनमानस को आयुर्वेदिक औषधियां भी उपलब्ध करवाई गई। कार्यक्रम में दिव्य योग साधना मंदिर से बलदेव ग्रोवर, दीनानाथ नागपाल, आशा काकर, राजेन्द्र राठी व अमर सिंह सुथार के साथ-साथ आश्रम के सभी सेवादार साधकों की उपस्थिति रही।