लखनऊ। विधान सभा में बुधवार को उस समय बेहद असहज स्थिति पैदा हो गई जब नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच कहासुनी तीखी झड़प व तू-तू मैं-मैं में तब्दील हो गई। मौके की नजाकत भांपकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बतौर नेता सदन अपनी जिम्मेदारी निभायी। उन्होंने मामले में हस्तक्षेप कर कहा कि सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष को भी मर्यादा का पालन करना होगा। तभी सदन की मर्यादा और गरिमा बनी रहेगी।
उन्होंने विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना से कहासुनी के दौरान की गईं अमर्यादित टिप्पणियों को सदन की कार्यवाही से निकलवाने का अनुरोध किया। यह कहते हुए कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो यह आने वाले समय में नजीर बनेगा और अतीत में सदन में जो कुछ अशोभनीय हुआ है, भविष्य में वह फिर दोहराया जाएगा। जब कोई सदस्य बोल रहा हो तो उसके बीच टोका-टोकी और धमकी देना ठीक नहीं है। इससे जनता के बीच भी खराब संदेश जाएगा।
इस झड़प की पृष्ठभूमि राज्यपाल के अभिभाषण पर सरकार की ओर से लाये गए धन्यवाद प्रस्ताव पर बतौर नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव की तरफ से पेश किये गए संशोधन प्रस्ताव के दौरान तैयार होने लगी थी। संशोधन प्रस्ताव के दौरान अखिलेश सामने बैठे उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मुखातिब होकर बोले कि जनता ने तो इनकी गर्मी निकाल दी। उनका इशारा विधान सभा चुनाव में केशव की हार से था। फिर बोले कि आप दोबारा उप मुख्यमंत्री बन गए तो किसकी गर्मी निकल गई। ऐसा कहते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री को देखा लेकिन योगी चुपचाप मुस्कुराते रहे।
अखिलेश की बात पूरी होने के बाद सरकार की ओर से जवाब देने के लिए केशव उठे। उन्होंने कहा कि न जाने आपको कौन सा रोग है कि आप हमेशा अपनी सरकार के पांच साल का गुणगान करते हैं। आप पहले अपनी जांच करा लीजिए। आप पांच साल सत्ता से बाहर रहे हैं, फिर पांच साल के लिए बाहर हुए हैं और अभी 25 साल आपका नंबर नहीं लगना है। जबकि आपकी तमाम कोशिशों के बावजूद योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री और मैं उप मुख्यमंत्री की कुर्सियों पर बैठे हैं।
इस पर अखिलेश ने कहा कि हम सत्ता में आ पाए या नहीं लेकिन केशव मौर्य बताएं कि वह लोक भवन में कब बैठ पाएंगे? केशव ने फौरन जवाब दिया-लोक भवन में तो कमल खिल चुका है। इस पर अखिलेश ने केशव से कहा कि आपके जिले की चार लेन सड़क भी सपा सरकार ने बनवाई थी। केशव बोले-जैसे आपने सैफई की जमीन बेचकर सड़क, एक्सप्रेसवे, मेट्रो बनवाई हो। केशव का यह जवाब सुनकर तैश में आए अखिलेश ने केशव को डपटते हुए कहा कि ‘तुम अपने पिताजी से पैसे लाते हो सड़कें बनाने के लिए, तुमने राशन बांटा पिताजी से पैसे लेकर…भक।’
इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य उत्तेजित हो गए। स्थिति की संवेदनशीलता को भांप कर मुख्यमंत्री खड़े हुए और उन्होंने कहा कि पूरा सदन एक घंटे से अधिक समय तक नेता प्रतिपक्ष को सुनता रहा। अब जब उप मुख्यमंत्री सदन में अपनी बात कह रहे हैं तो एक सम्मानित नेता के लिए ओछे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी सरकारों को अपने कार्यों के बारे में बताने का अधिकार है।
उप मुख्यमंत्री के बाद नेता प्रतिपक्ष अपनी बात कह सकते थे। सैफई भी इसी प्रदेश का हिस्सा है। हमारी सहमति-असहमति हो सकती है लेकिन तू-तू, मैं-मैं करना कतई अनुचित है। इस पर अखिलेश ने कहा कि उप मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत टिप्पणी से बचते हुए सैफई की जमीन का जिक्र नहीं करना चाहिए था। मुख्यमंत्री के अनुरोध पर विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि असंसदीय टिप्पणियों को सदन की कार्यवाही से बाहर निकाल दिया जाएगा।