रांची, 19 फरवरी, 2025: स्मार्ट फ्रेट सेंटर इंडिया (एसएफसी) ने रांची (Ranchi) में जीरो एमिशन ट्रकों (ज़ेडईटी) पर एक वर्कशॉप का आयोजन किया। यह वर्कशॉप भारत में मध्यम और भारी ट्रकों (एमएचडीटी) में ज़ेडईटी को बढ़ावा देने के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा थी। झारखंड सरकार के उद्योग विभाग के सहयोग से हुई इस चर्चा में परिवहन जगत के प्रमुख विशेषज्ञों ने ज़ेडईटी अपनाने में आ रही चुनौतियों, संभावनाओं और आवश्यक कदमों पर अपने विचार रखे। यह वर्कशॉप नीति आयोग के ई-फास्ट पहल के तहत आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य देशभर में ज़ेडईटी को लेकर जागरूकता बढ़ाना और इससे जुड़े तकनीकी व संचालन पहलुओं पर चर्चा करना है। इस दौरान वैश्विक परिवहन प्रणाली में हो रहे बदलाव, भारत सरकार की ई-ट्रक पहल, शहरों में ज़ेडईटी अपनाने के मौके और इनके संचालन से जुड़े जोखिमों पर मंथन हुआ। एसएफसी ने बोधि को नॉलेज पार्टनर के रूप में शामिल कर झारखंड में हरित लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ाया।
इस वर्कशॉप में एक विशेष राउंडटेबल चर्चा आयोजित की गई, जिसका संचालन श्री शरत सिंह (ग्रामीण विकास सलाहकार, रांची, जीआईज़ेड इंडिया) ने किया। इस चर्चा में प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिनमें श्री नितीश कुमार (आईएफएस, डीएफओ, रामगढ़, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, झारखंड), श्री रविंद्र कुमार (जेएएस, डिप्टी एडमिनिस्ट्रेटर, नगर निगम, रांची), श्री अतिलेश गौतम (इलेक्ट्रिकल एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सह एसडीए प्रभारी, जेरेडा, रांची), श्री मुन्ना झा (बिहार एवं झारखंड के क्लाइमेट एक्शन प्रमुख, एएसएआर) और डॉ. शशिधर झा (डायरेक्टर, रिसर्च एंड नॉलेज प्रोडक्ट्स, बोधि) शामिल रहे। चर्चा के दौरान विशेषज्ञों ने ज़ेडईटी को अपनाने में आ रही चुनौतियों, समाधान और दीर्घकालिक पर्यावरणीय एवं आर्थिक लाभों को लेकर अपने विचार साझा किए। झारखंड सरकार के उद्योग विभाग के निदेशक, श्री सुशांत गौरव (आईएएस) ने अपने भाषण के दौरान कहा, “झारखंड सतत विकास की दिशा में अग्रसर होने के लिए प्रतिबद्ध है, और शून्य-उत्सर्जन ट्रकों जैसी पहल इसमें अहम् भूमिका निभाएगी। हमारा राज्य खनिज संपदा से समृद्ध है, जिसमें 18 दुर्लभ खनिज तत्व शामिल हैं, जो हमें स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण स्थिति में रखते हैं। हम अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देकर एक बेहतर भविष्य के अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने और आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं! (Ranchi)
ये भी पड़े – Adani-इस्कॉन महाप्रसादः दुनिया का सबसे सटीक फूड डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम, बर्बादी होती है ना के बराबर
उन्होंने आगे कहा, “झारखंड की ‘इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी 2022’ इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रोत्साहनों के साथ तैयार की गई है, जो हरित गतिशीलता को मजबूती देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। ज़ेडईटी की ओर बढ़ना सिर्फ आर्थिक और रोज़गार से जुड़ी जरुरत नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। मैं ज़ेडईटी इनेबलमेंट वर्कशॉप जैसी पहलों की सराहना करता हूँ, जो हितधारकों को एक मंच पर लाकर भारत में लॉजिस्टिक्स सेक्टर को अधिक टिकाऊ और प्रभावी बनाने में मदद कर रही हैं।”वर्कशॉप में अशोक लीलैंड द्वारा ज़ेडईटी पर एक महत्वपूर्ण प्रजेंटेशन दिया गया, जिसमें सतत परिवहन के क्षेत्र में हुई प्रगति को रेखांकित किया गया। इसके अलावा, वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) ने पीएसए भारत नीति परामर्श से जुड़ा एक सत्र आयोजित किया, जिसमें पॉलिसी फ्रेमवर्क्स और ज़ेडईटी को तेज़ी से अपनाने के लिए रणनीतिक सुझावों पर गहन जानकारी दी गई। (Ranchi)
वर्कशॉप में भारत की बढ़ती 4.11 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को माल परिवहन में डीकार्बनाइज़ेशन का एक महत्वपूर्ण कारक बताया गया। देश में 70% घरेलू माल परिवहन सड़क मार्ग से होता है, जिससे हर साल 213 मिलियन टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जित होता है। इसमें से 83% उत्सर्जन भारी मालवाहक वाहनों की वजह से होता है। ऐसे में, ज़ेडईटी को अपनाने में तेज़ी लाना बेहद जरूरी है। पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत 500 करोड़ रुपए का आवंटन ई-ट्रकों के लिए किया गया है, जिससे इसके विस्तार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यदि उद्योग और नीति निर्माता मिलकर काम करें, तो वर्ष 2050 तक ज़ेडईटी 838 अरब लीटर डीजल की बचत कर सकते हैं, 116 लाख करोड़ रुपए के तेल खर्च को कम कर सकते हैं और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 46% तक कटौती कर सकते हैं। (Ranchi)
विज्ञापन– क्या आप कलाकार बनाना चाहते है ? क्या आप फिल्म जगत में अपना नाम बनाना चाहते है?
श्री नीतीश कुमार, आईएफएस, डीएफओ, रामगढ़, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, झारखंड, ने अपने विचार रखते हुए कहा, “ज़ेडईटी सिर्फ प्रदूषण कम करने का साधन नहीं, बल्कि एक हरित और मजबूत अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने का रास्ता भी है। यह बदलाव नीति निर्माताओं, उद्योग जगत, वित्तीय संस्थानों और तकनीकी विशेषज्ञों की संयुक्त भागीदारी से ही संभव हो पाएगा। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार और ज़ेडईटी के प्रति जागरूकता बढ़ाना, इसे अपनाने में तेज़ी लाने के लिए जरूरी कदम हैं।”
प्रमुख बिंदु:
• एसएफसी ने ई-ट्रकों के वैश्विक परिदृश्य और भविष्य की संभावनाओं को प्रस्तुत किया, जिसमें भारत की वैश्विक भूमिका पर विशेष जोर दिया गया।
• साफ-सुथरे और पर्यावरण-अनुकूल फ्रेट मॉडल की आवश्यकता पर चर्चा की गई, ताकि सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान किया जा सके।
• ज़ेडईटी अपनाने के व्यावसायिक, परिचालन, लागत और स्थिरता से जुड़े लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया, जिससे सस्टेनेबल फ्रेट प्रैक्टिसेस को बढ़ावा मिल सके।
• प्रतिभागियों को ज़ेडईटी के कार्यान्वयन मार्ग, नियामक और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी चुनौतियों को समझने का अवसर मिला।
• वर्कशॉप में क्षेत्रीय नेटवर्क और गवर्नेंस फ्रेमवर्क विकसित करने पर चर्चा हुई, ताकि विशिष्ट क्षेत्रों में फ्रेट इलेक्ट्रिफिकेशन के अवसरों का उपयोग किया जा सके और पूरे भारत में ज़ेडईटी परियोजनाओं को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके।
ज़ेडईटी इनेबलमेंट वर्कशॉप सीरीज़ शहर प्रशासन, ओईएम, नीति निर्माताओं, एलएसपी और शिपर्स को एक मंच पर लाकर लॉजिस्टिक्स के सतत समाधान तैयार करने में मदद कर रही है। इससे पहले, इंदौर, चेन्नई, हैदराबाद, दिल्ली और तिरुवनंतपुरम जैसे शहरों में हुए विचार-विमर्श में ज़ेडईटी को अपनाने में आने वाली चुनौतियों, संचालन से जुड़े जोखिमों और एसओपी पर चर्चा की जा चुकी है। (Ranchi)