इंदौर। इंदौर की एक विशेष अदालत ने शनिवार को मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड द्वारा 2009 में आयोजित प्री-मेडिकल टेस्ट (PMT) में धांधली के आरोप में पांच लोगों को सात साल जेल की सजा सुनाई है। इसे व्यापम के नाम से भी जाना जाता है।
सीबीआई ने 6 लोगों के खिलाफ दर्ज किया मामला
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) रंजन शर्मा ने बताया कि संयोगिता गंज पुलिस ने वर्ष 2009 में पीएमटी(PMT) परीक्षा के दौरान छह लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। परीक्षा में 2 छात्रों ने अपने स्थान पर दो अन्य लोगों को परीक्षा देने भेजा था। आरोपियों की पहचान रवींद्र दुलावत, सत्यपाल कुस्तावर, आशीष उत्तम, शैलेंद्र कुमार और संजय दुलावत के रूप में हुई है।
सभी दोषियों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (सीबीआई) संजय कुमार गुप्ता की अदालत ने मध्य प्रदेश परीक्षा मान्यता अधिनियम के प्रावधान और आईपीसी की धारा 419, 420, 471, 467, 468 के तहत शैलेंद्र कुमार, सत्यपाल कस्तवार, आशीष उत्तम, रवींद्र दुलावत, डॉ संजय दुलावत और रामप्रिया दास को दोषी ठहराया है। अदालत ने सभी पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
70 लोगों की गवाही के बाद पांच लोगों को पाया गया दोषी
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक ने आगे कहा कि अदालत ने 70 गवाहों की जांच के बाद पांचों को दोषी पाया। उन्होंने बताया, ‘शैलेंद्र कुमार एमजीएम मेडिकल कालेज के छात्र सत्यपाल कुस्तावर के स्थान पर परीक्षा देते हुए पाए गए और रवींद्र दुलावत के स्थान पर आशीष सर्वश्रेष्ठ परीक्षा दे रहे थे। उन दोनों से बिचौलिए डा संजय दुलावत और रामप्रिया दास ने संपर्क किया था।’
PMT: सबूतों के अभाव में एक आरोपी बरी
2009 में व्यापमं घोटाला सामने आने के बाद इस मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था, जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, मामला बढ़ते गए और 2016 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ले ली। हालांकि अदालत ने रामप्रिया दास को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।