नई दिल्ली। 24 फरवरी को शुरू हुई रूस-यूक्रेन के बीच जंग अभी भी जारी है। रूस के सैनिक यूक्रेनी शहरों में लगातार मिसाइलें दाग रहे हैं। पश्चिमी देश और अमेरिका यूक्रेन को विनाशक हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं। हालांकि, जंग के तीन महीने होने के बाद यूक्रेन के पास हथियारों की कमी होने लगी है। यूक्रेन सरकार का कहना है कि अब यूक्रेनी सेना के पास गोला-बारूद नहीं बचा है। आखिर कौन से पश्चिमी देश यूक्रेनी सेना की मदद करने में जुटे हैं। आइए जानते हैं कि यूक्रेनी सरकार के इस बयान का क्या सच है। हाल में यूक्रेनी रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने कहा कि डेनमार्क की मिसाइल मिलने से यूक्रेनी नौसेना की ताकत में इजाफा होगा। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या ये हार्पून मिसाइल युद्ध का रुख बदल सकती है। आइए जानते हैं कि दोनों देशों के बीच क्या है हथियारों का समीकरण। यूक्रेन के पास क्या हथियारों की कमी है।
1- इस क्रम में डेनमार्क ने यूक्रेन को एंटी शिप हार्पून मिसाइल की आपूर्ति शुरू कर दी है। यूक्रेन की सेना में इन मिसाइलों के शामिल होने से काला सागर में यूक्रेन की सैन्य ताकत कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगी। बता दें कि हार्पून दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलों में एक है। कई युद्धों के दौरान उसने अपनी ताकत का लोहा मनवाया है। एक हार्पून मिसाइल 221 किलोग्राम वॉरहेड के साथ दुश्मन के युद्धपोत को निशाना बनाने में सक्षम है। इन हार्पून मिसाइल का ओडेसा बंदरगाह से संचालन किया जाएगा। इस बंदरगाह की सुरक्षा में पहले से ही नेप्च्यून मिसाइलें तैनात हैं। ऐसे में हार्पून और नेप्च्यून मिसाइलों का संचालन एक साथ किया जाएगा।
2- यूक्रेन ने कहा है कि रूस उस पर थर्मोबेरिक बम से हमला कर रहा है। इसी के साथ उसने नाटो NATO देशों से कहा है कि उसे भी इसी तरह के हथियार दिए जाएं। हालांकि, रूस ने अमेरिका को धमकी दी है। रूस के सरकारी मीडिया की ओर से कहा गया है कि अगर अमेरिका ने यूक्रेन को लंबी दूरी के राकेट या तोप भेजे तो वह रेड लाइन क्रास करेगा। रूस ने कहा कि इससे काफी गंभीर परिणाम हो सकते हैं। रूस की ये धमकी तब आई है जब एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन जल्द ही यूक्रेन को हथियारों की एक और शिपमेंट भेजने की घोषणा कर सकते हैं। इस शिपमेंट में कई लांग रेंज मिसाइल और आर्टिलरी भेजी जाएगी। यूक्रेन को डोनबास क्षेत्र में रूस ने भारी नुकसान पहुंचाया है। यूक्रेन की सेना इस कारण पीछे भी हट गई है। यूक्रेन ने इसी तरह के हथियार मांगे थे।
3- अमेरिका यूक्रेन में खास दो हथियारों को भेज सकता है। इसमें M270 MLRS और M142 HIMARS हैं। ये दोनों हथियार रॉकेट लॉन्चर हैं जिनकी क्षमता 300 किलोमीटर से ज्यादा है। इससे पहले अमेरिका M777 होवित्जर को भी यूक्रेन भेज चुका है। उसकी रेंज सिर्फ 25 किलोमीटर की है। अधिकारियों का मानना है कि लंबी दूरी के हथियार न देकर अमेरिका को यूक्रेन को सिर्फ 50 किलोमीटर की क्षमता वाले हथियार भेजने चाहिए। इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही है कि अगर युद्ध ज्यादा बढ़ता है तो अमेरिका कहां तक यूक्रेन की मदद करेगा। इसके साथ सबसे बड़ी चिंता ये है कि अगर अमेरिका की तरफ से हथियार दिए जाते हैं तो यूक्रेन इनका इस्तेमाल देश में मौजूद रूसी सैनिकों के खिलाफ करेगा या फिर रूस पर हमला करने के लिए करेगा।
यूक्रेन के पास है हार्पून मिसाइल
दरअसल, यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस ने यूक्रेनी बंदरगाहों की जबरदस्त घेराबंदी की थी। इस कारण यूक्रेन को न सिर्फ अनाजों का निर्यात बंद करना पड़ा, बल्कि समुद्री रास्ते से हथियारों और दूसरे जरूरी सामानों का आयात भी रोकना पड़ा। रूस ने यूक्रेन के खिलाफ मिसाइल हमले शुरू करने के लिए अपने काला सागर बेड़े का भी इस्तेमाल किया। हालांकि बाद में यूक्रेन ने ब्रिटेन से मिले नेप्च्यून मिसाइलों से रूस के सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक मोस्कवा को डूबो दिया था।
क्या है पश्चिमी देशों की चुनौती
यह युद्ध लंबा चला तो पश्चिमी देश भी इससे प्रभावति होंगे। पश्चिमी देशों की अपने-अपने देश की आंतरिक चुनौतियां है। पश्चिमी देशों को अपनी घरेलू चुनौतियों पर भी ध्यान देना होगा। रूस यूक्रेन जंग के चलते पश्चिमी देशों में महंगाई तेजी से बढ़ रही है। तेल और गैस के बढ़ते दाम से जीवन-यापन लगातार महंगा होता जा रहा है। युद्ध इसकी एक अहम वजह रहा है। उन्होंने कहा कि सर्दियों के आते ही रूस और यूक्रेन दोनों सेनाओं के लिए लड़ना और कठिन हो जाएगा। इसके साथ दुनिया के लिए आर्थिक संकट को झेलना भी और मुश्किल होता जाएगा।