नई दिल्ली। सैन्य भर्ती की नई योजना ‘अग्निपथ’ को लेकर देश भर में हो रहे उग्र प्रदर्शन जारी है। इन प्रदर्शनों की विशेष जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को याचिका दायर हुई है। इसमें विशेष जांच टीम (Special Investigation Team, SIT) गठित करने की मांग की गई है। साथ ही इस हिंसक प्रदर्शन के दौरान रेलवे समेत सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की जांच की भी मांग है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ हैं राज्यों में हिंसक प्रदर्शन
केंद्र सरकार की सैन्य भर्ती की नई योजना ‘अग्निपथ’ के खिलाफ विभिन्न राज्यों में व्यापक हिंसक प्रदर्शन और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान न सिर्फ कानून के मूल सिद्धांतों बल्कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा विभिन्न फैसलों के जरिये जारी निर्देशों के भी खिलाफ है। ऐसे हिंसक प्रदर्शनों पर अतीत में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी थी, ‘किसी को भी कानून का स्वयंभू संरक्षक बनने और दूसरों पर कानून की अपनी व्याख्या जबरन, खासकर हिंसक तरीकों से थोपने का अधिकार नहीं है।’ इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले कुछ वर्षों में कुछ महत्वपूर्ण निर्देश भी जारी किए हैं, जिनमें संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले हिंसक विरोध प्रदर्शनों में शामिल संगठनों के नेताओं पर अभियोग चलाना, ऐसी घटनाओं पर हाई कोर्टो से स्वत: संज्ञान लेने के लिए कहना और पीड़ितों को मुआवजा प्रदान करना शामिल हैं।
पिछले कुछ वर्षों में जबकि सरकारी नीतियों, फिल्मों के प्रदर्शन, सामाजिक कार्यक्रमों आदि को निशाना बनाने वाली हिंसा की घटनाओं में व्यापक वृद्धि हुई है, ऐसे में शीर्ष अदालत ने अधिकारियों से सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कहा है। प्रिवेंशन आफ डैमेज टू पब्लिक प्रापर्टी ([पीडीपीपी)] एक्ट, 1984 जैसा विशेष कानून अमल में होने, लेकिन उसमें कड़े प्रविधानों के अभाव की वजह से शीर्ष अदालत ने 2007 में व्यापक हिंसा और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान की घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लिया था और दो समितियों का गठन कर अपनी सिफारिशें सौंपने को कहा था। 16 अप्रैल, 2009 को शीषर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश केटी थामस और प्रख्यात कानूनविद एफएस नरीमन की अध्यक्षता वाली दोनों समितियों की सिफारिशों पर संज्ञान लिया था। शीर्ष अदालत का कहना था कि सुझाव बेहद महत्वपूर्ण हैं और उनमें पर्याप्त दिशा-निर्देश हैं जिन्हें अपनाने की जरूरत है।