बड़ी ही दुख की बात है जहां एशियन (Asian) गेम्स की ट्रेनिंग के लिए अच्छा कोच, अच्छी ट्रेनिंग, अच्छी डाइट मिलनी चाहिए थी। वही महावीर विनोद राणा सूखी रोटी खाकर एशियन गेम्स की ट्रेनिंग कर रहे हैं। दूसरे राज्यों के खिलाड़ी विदेशों में ट्रेनिंग कर रहे हैं और उत्तर प्रदेश का एक होनहार खिलाड़ी कोई सुविधा ना मिलने के कारण घर पर ही अभ्यास कर रहा है। ढेरों मेडल देने के बावजूद भी जहां करोड़ों रुपए, गाड़ी बंगला, बैंक बैलेंस होनी चाहिए थे। आज उसके पास अच्छा कोच भी नहीं है और यहां तक कि उसके पास ट्रेनिंग के लिए अच्छी डाइट भी नहीं है। फिर भी देश को मेडल दिलाने के लिए गांव के एक मैदान में रोज 8 घंटे पसीना बहा रहा है। ऐसा ही होता रहा तो खिलाड़ी बनने से ही पहले खेल को अलविदा कह देंगे क्योंकि एक खिलाड़ी से देश का नाम और सम्मान बढ़ता है। जहां उन्हें इंटरनेशनल कोच मिलना चाहिए था।
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आज खुद ही कोच हैं और खुद ही शिष्य हैं। महावीर विनोद राणा का कहना है कि अगर मेरे कारण देश का थोड़ा सा भी नाम और सम्मान बढ़ता है तो मैं खुद को बहुत खुश नसीब समझूंगा क्योंकि हर किसी को ये मौका नही मिलता। कोई भी मुझे सपोर्ट करे या ना करे। मैं और मेरे बच्चे देश के नाम और सम्मान के लिए खेलते रहेंगे। सरकार आज उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों को कोई सुविधा और ना ही कोई अच्छा कोच दे रही है। बड़ी ही दुर्भाग्य की बात है। महावीर विनोद राणा जिन्होंने खुद की मेहनत से एक बड़ा इतिहास (Asian) लिखा है। फिर भी उनके पास आज कुछ भी नहीं है। उनके हौसले को सलाम है क्योंकि आज भी देश को सम्मान दिलाने के लिए रात दिन मेहनत कर रहे हैं। महावीर विनोद राणा अपने दो बच्चों को भी देश के नाम और सम्मान के लिए अभ्यास करा रहे हैं। जल्द ही उनके दो बच्चे भी राष्ट्रीय स्तर भी खेलेंगे।
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