3 जून को कानपुर में हुई हिंसा की जांच कर रही एसआईटी टीम ने बड़ा खुलासा किया है. एसआईटी के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा का बयान तो सिर्फ बहाना था, असली काम चंदेश्वर हाता खाली कराना था, जिसके लिए एक करोड़ की सुपारी कानपुर के सबसे खतरनाक D2 गैंग को दी गई थी.
यह डील D2 गैंग के सरगना अफजाल से की गई थी. पूरी साजिश बाबा बिरयानी के मालिक मुख्तार बाबा, बिल्डर हाजी वशी और हाजी कुद्दुस नाम के व्यक्ति ने मिलकर रची थी. हैरानी इस बात की है कि इस साजिश में बाबा मुख्तार के बेटा उमर और हाजी वशी का बेटा अब्दुल रहमान भी शामिल था. इसके लिए पूरी जमीन तैयार हुई थी.
जफर हयात द्वारा 3 जून को बुलाई गई बंदी के आधार पर अफजाल अंसारी ने अपने गुर्गो अकील खिचड़ी और सबलू को छोटे मियां के हाते में पूरी योजना समझाकर चार-चार लाख दिए थे. ये लोग ठेले पर पत्थर और पेट्रोल बम लेकर आए थे. एसआईटी के अनुसार, पूरी योजना अफजाल ने फूल प्रूफ बनाई थी.
एसआईटी ने अपनी जांच में पाया, ‘अफजाल ने प्लानिंग की थी कि जब जुलूस चंदेश्वर हाता की तरफ बढ़ेगा, उसी समय उसके पहले से तैनात लड़के इशारा पाते ही चंदेश्वर हाता पर हमला कर देंगे, पत्थरों और पेट्रोल बम से हमला करेंगे. उसके बाद बवाल होगा. दहशत फ़ैलेगी फिर हाते में रहने वाले अपने प्लॉट-मकान सस्ते में बेचने लगेंगे.’
एसआईटी के मुताबिक, जब लोग जमीन बेचते तो उसे हाजी वशी और मुख्तार बाबा खरीद लेते, अफ़जाल को चंद्रेश्वर हाते पर कब्जा होने के बाद एक करोड़ की सुपारी की रकम देने का वादा किया गया था, बवाल से पहले मुख्तार बाबा के लड़के उमर ने अफजाल को 10 लाख रुपये एडवांस दे दिया था.
एसआईटी जांच में खुलासा हुआ है कि अफजाल ने इन लोगों को विश्वास दिलाया था कि मेरा नाम ही काफी है, जिसके चलते क्षेत्र के अपराधी इसमें शामिल हो जाएंगे. जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि बवाल से पहले हाजी वशी, मुख्तार बाबा और जफ़र हयात के बीच इस योजना की एक मीटिंग हुई थी, जिसमें हाजी कुद्दुस नाम का व्यक्ति शामिल हुआ था.
इस मामले में हाजी कुद्दुस नाम के व्यक्ति की भूमिका सबसे संदिग्ध मिली है, क्योंकि वह प्रशासन का करीबी था और बवाल के बाद प्रशासन की मदद के बहाने लोगों को समझाने मौके पर पहुंचता और जो लोग पुलिस द्वारा बवाल में पकड़े जाते हैं, उनको छुड़ाने की रूपरेखा का रास्ता यही कुद्दुस बनाता.
जांच में खुलासा हुआ कि बिल्डर वशी ने अपनी तरफ कुद्दुस को एक बड़ी बिल्डिंग में बड़ा फ़्लैट गिफ्ट किया था. इन लोगों ने मीटिंग में यह भी तय किया था कि बवाल के दौरान जिन लड़कों को पुलिस पकड़ कर जेल भेजेगी, उनको अपनी तरफ से हम कोर्ट में निशुल्क वकील उपलब्ध कराकर जमानत और पैरवी की सुविधा देंगे.
एसआईटी जांच में यह खुलासा भी हुआ कि इस बवाल के लिए बिल्डर हाजी वशी ने अपनी कुछ प्रॉपर्टी को बेचकर लगभग 35 लाख की रकम पहले से इकठ्ठा कर रखी थी और D2 गैंग का सहारा लिया गया. इस गैंग का सबसे खतरनाक मंसूबा ये भी था कि इस बवाल से देश का नाम खराब हो और उन्हें मीडिया की सुर्खियां मिले.
यहां गौर करने वाली बात ये है कि D2 गैंग का सरगना अफजाल उसी रफीक का भाई है जिसको पकिस्तान में बैठे मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम का कभी करीबी माना जाता था. कहा जाता है कि जब मुंबई में दाऊद इब्राहिम ने अंडरवर्ल्ड में कदम रखा, तबक अफजाल का भाई रफीक और दाऊद एक कैरम क्लब में साथ-साथ कैरम खेला करते थे.
अफजाल के एक भाई की पुलिस एनकाउंटर में कानपुर में मौत हुई थी, जबकि एक भाई रफीक को किदवई नगर में उसके विरोधी ने गैंगवार में पुलिस कस्टडी में मार डाला था. इसके बाद ही D2 गैंग की कमान अफजाल संभाल रहा है. ये खुलासा भी हुआ है कि मुख्तार बाबा और हाजी वशी पिछले दो दशकों में D2 गैंग के जरिए प्रॉपर्टी पर कब्जा करते थे.