सिरसा। (सतीश बंसल) सी एम के नैशनल महाविद्यालय में (National Education Policy) शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, हरियाणा प्रांत के तत्वावधान में शिक्षा में स्वायत्तता विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्या डा. रंजना ग्रोवर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का उद्देश्य देश में शिक्षा प्रणाली में सुधार करना और उच्च शिक्षा क्षेत्र में नई संरचना लाना है, जहां सभी कॉलेज-संस्थान धीरे-धीरे पूर्ण स्वायत्तता की ओर बढ़ेंगे।
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उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही महत्वाकांक्षी नीति है, जो विशेष रूप से शिक्षा की गुणवत्ता के लिए एक जीवंत प्रकार की शिक्षा बनाने का इरादा रखती है। संगोष्ठी की संयोजिका डा. वीरबाला शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्रों को अधिक व्यापक और बहु-विषयक आधार प्रदान करती है। (National Education Policy) उन्होंने कहा कि यह उपयुक्त समय है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया जाए और ऐसा आधुनिक शिक्षण दृष्टिकोण अपनाया जाए जो स्वायत्त, उत्तरदायी एवं प्रासंगिक हो।
विषय की सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए जन संचार विभागाध्यक्षा डा. दीपिका शर्मा ने कहा कि किसी भी शिक्षण संस्थान में उच्च गुणवत्ता लाने के लिए यह आवश्यक है (National Education Policy) कि उन्हें स्वायत्तता प्रदान की जाए, जिससे राजनैतिक हस्तक्षेप खत्म हो, लेकिन साथ ही समय समय पर इस स्वायत्तता का मूल्यांकन भी किया जाए, ताकि सभी नियमों व मानकों के अनुरूप कार्य हो।
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हिन्दी विभाग की सहायक प्रवक्ता डा. रति तिवारी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि मानव पूंजी को विकसित करने के लिए नई रूपरेखा और सुनियोजित शिक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण है। विषय पर अपने विचार रखते हुए अर्थशास्त्र विभाग की (National Education Policy) सहायक प्रवक्ता डा. सीमा रानी ने भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के वित्तीय पहलुओं के संदर्भ में बात की। इस अवसर पर अंग्रेजी विभागाध्यक्षा अंशु उप्पल व हिन्दी विभागाध्यक्षा डा. आरती बंसल ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर समस्त स्टाफ मौजूद रहा।