सिरसा। (सतीश बंसल) गांव रघुआना की ढाणियों में पशुपालन किसानों के साथ (Milk Production) बीकेई अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने पशुपालन किसानों को जागरूक किया और उनको आ रही समस्याओं को भी सुना। औलख ने कहा कि जो किसान पशु पालता है और दूध पैदा करके डेयरी वाले को, दोधी, हलवाई, कंपनियों और प्राइवेट दूध खरीदने वालों को दूध बेचता है। किसानों को दूध का सही दाम ना मिलने की वजह से ज्यादातर किसान पशु पालन के धंधे से तौबा कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ जो इसके खरीदार हैं, वह दिन-प्रतिदिन तरक्की कर रहे हैं।
5 रुपए से 10 रुपए प्रति लीटर दूध से कमाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं इस व्यापार से जुड़े हुए लोगों में कुछ लोग मिलावटी दूध भी बाजार में बेच रहे हैं, जिससे कि आमजन की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है और यह लोग पशुपालन किसानों को बदनाम करने का भी काम कर रहे हैं। (Milk Production) दूध उत्पादन करने वाले किसान को सही कीमत भी नहीं मिल पा रही है। औलख ने किसानों को आगाह करते हुए कहा कि जब भी आप किसी डेयरी या व्यापारी को दूध बेचते हो तो उसे लीटर की बजाए किलोग्राम में ही बेचें। ज्यादातर दूध खरीदने वाले किसानों से दूध लीटर में ही खरीद रहे हैं, जो कि गैरकानूनी है।
ये भी पड़े – सरकार ने नए-नए टैक्स लगा कर व टैक्सों में बढ़ोतरी करके जनता पर आर्थिक बोझ डालने का काम किया है- बजरंग गर्ग
इसके साथ-साथ किसान साथी फैट और एसएनएफ बिल्कुल ध्यान से निकलवाएं, क्योंकि उसमें भी किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा हो रहा है। ज्यादातर डेयरियों पर फैट निकालने वाली मशीन में तीन विकल्प होते हैं। पहला गाय का, दूसरा भैंस का और तीसरा मिक्स। किसान दूध के सैंपल इन तीनों पर चेक करवाएं। अगर इन तीनों में 0.1 या 0.2 में ज्यादा फर्क आता है तो डेयरी वाले ने इस मशीन में गड़बड़ी की हुई है।
दूध खरीदने वाली हर कंपनी की रेट लिस्ट होती है, वह भी किसान साथी समय-समय पर देखते रहें, जिससे कि उनके साथ कोई धोखाधड़ी ना हो पाए। यहां एक बात और ध्यान देने योग्य है कि कंपनियों वाले व प्राइवेट व्यापारी दूध को प्लास्टिक के ड्रम में लेकर सारा दिन इधर-उधर सप्लाई करते हैं, (Milk Production) लेकिन उनका दूध खराब नहीं होता है। यह भी जांच का विषय है कि वे ऐसा कौन सा पदार्थ उसमें मिलाते हैं कि इतनी गर्मी में भी दूध खराब नहीं होता है।
ये भी पड़े – क्या आप कलाकार बनाना चाहते है ? क्या आप फिल्म जगत में अपना नाम बनाना चाहते है?
औलख ने कहा कि दूध का रंग तो सफेद है, लेकिन कुछ घटिया और मिलावटी लोगों की वजह से दूध का धंधा बहुत काला हो चुका है, जिस पर प्रशासन और सरकार को भी संज्ञान लेने की जरूरत है, जिससे कि एक तरफ पशुपालक किसान भी खुशहाल रहे और उपभोक्ताओं की सेहत के साथ खिलवाड़ ना हो। औलख ने पशुपालक किसानों से कहा कि वे दूध बेचते समय उसकी फैंट, एसएनएफ वजन (किलो में) कहीं भी करवा सकते हैं।
यह उनका अधिकार है। पशुओं की खुराक का भी किसान साथी ध्यान रखें, अच्छी कंपनी की फीड-खल इत्यादि ही पशुओं को खिलाएं। डेयरी वालों से रंग-बिरंगे गट्टों में निम्न स्तर की फीड ना खरीदें। इससे पशुओं की सेहत का भी नुकसान होता है और दूध की क्वालिटी भी खराब होती है। (Milk Production) इस मौके पर दर्शन सिंह, महेंद्र सिंह, राजू सिंह, विक्की सिंह, मेला सिंह, मनदीप सिंह सहित अन्य किसान उपस्थित थे।