सिरसा।(सतीश बंसल) प्रदेशभर की 20 हजार से अधिक आशा वर्कर्स (Asha Workers) लगातार अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हंै। पूरे हरियाणा में कामकाज बाधित हो रहा है, लेकिन ये निकम्मी सरकार किसी की न सुनकर तानाशाही तरीके से आंदोलन को दबाने का काम कर रही है, लेकिन कर्मचारी वर्ग सरकार की शातिर चालों को समझ चुका है। सरपंच एसोसिएशन हरियाणा मांगें पूरी न होने तक कंधे से कंधा मिलाकर आशा वर्कर्स के साथ खड़ी है और रहेगी।
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उक्त बातें सरपंच एसोसिशन हरियाणा की प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष बैनीवाल ने मंगलवार को आशा वर्कर्स के धरने को समर्थन देते हुए कही। बैनीवाल ने कहा कि सरकार बार-बार बयान दे रही है कि आशा वर्कर्स के धरने से सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन पूरा कामकाज ठप पड़ा है। एक तो महंगाई चरम पर है, वहीं दूसरी ओर सरकार आशाओं को मात्र 4 हजार रुपए का वेतन देकर उनका शोषण कर रही है। यही नहीं इसके अलावा ऑनलाइन कार्य भी करवाया जा रहा है, जिससे कर्मचारियों का दोहरा शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की मांग जायज है। (Asha Workers)
बैनीवाल ने कहा कि इस सरकार ने ऐसा कोई भी वर्ग नहीं छोड़ा, जिसे धरने पर नहीं बैठाया हो। सरकार की नीति व नियती दोनों में खोट है। यहां तक की सरकार महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण लेकर आई, लेकिन उस आरक्षण का क्या फायदा, जब महिलाओं को उनके अधिकार ही नहीं दिए जा रहे। उन्होंने सांसद सुनीता दुग्गल के आवास के बाहर ज्ञापन देने के लिए गई आशा वर्कर्स (Asha Workers) के बेहोश होने के मुद्दे पर कहा कि सांसद में जरा भी इंसानियत होती तो वे बेहोश हुई वर्कर्स की सुध लेती, लेकिन इन्हें आम जनता से कोई सरोकार नहीं है। ये सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हंै, जो कहते कुछ हंै और करते कुछ और ही है।
उन्होंने आशा वर्कर्स यूनियन के संघर्ष को सलाम करते हुए कहा कि जिस उत्साह के साथ आप धरने पर डटे हो, इसी उत्साह व जोश के साथ आगे भी डटे रहो। ऐसा आंदोलन करो की इस सरकार के नाक में दम कर दो। सरपंच एसोसिएशन हरियाणा तन-मन-धन से कर्मचारियों के साथ खड़ी है और जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती, वे कंधे से कंधा मिलाकर कर्मचारियों के समर्थन में रहेंगे। इस मौके पर आशा वर्कर्स यूनियन की पूर्व प्रधान कलावती माखोसरानी ने कहा कि पिछले चुनावों में उन्होंने गलत व्यक्ति का चुनाव कर लिया, लेकिन इस बार इस बात का विशेष ख्याल रखा जाएगा। खासकर ऐसे दोगले नेताओं का, जो सत्त्ता में आने से पूर्व बड़े-बड़े वादे करते हंै और सत्त्ता में आते ही उन वादों को भूल जाते हैं। इस मौके पर उनके साथ माखोसरानी के सरपंच सुभाष कासनियां, कागदाना के सरपंच मांगेराम बैनीवाल उपस्थित रहे।