नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक-2022 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने मंजूरी दे दी है। इसके बाद अब राजधानी में तीनों निगम (उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी) के स्थान पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) अस्तित्व में आ गया है। हालांकि, दिल्ली नगर निगम कब से कामकाज शुरू करेगा यह केंद्रीय गृहमंत्रालय के आदेश से स्पष्ट होगा। बता दें कि लोकसभा ने 30 मार्च और राज्यसभा ने पांच अप्रैल को इस विधेयक को मंजूरी दी थी।
केंद्र सरकार ने दिल्ली के तीनों निगमों में नीतियों की एकरूपता और आर्थिक संकट से उबारने के लिए एकीकरण का फैसला लिया था। इसके तहत निगम के एक्ट में संशोधन किए गए थे। संशोधन के अनुसार, सरकार का अर्थ केंद्र सरकार होगा। वहीं, निगम में सीटों की संख्या अधिकतम 250 होगी। इसके लिए जनगणना के आधार पर वार्ड का परिसीमन किया जाएगा। जब तक परिसीमन की व्यवस्था चलेगी, निगम का कामकाज महापौर के स्थान पर केंद्र द्वारा नियुक्त विशेषष अधिकारी देखेगा।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011 में दिल्ली विधानसभा ने दिल्ली नगर निगम को तीन निगमों में विभाजित किया था। जिसमें पूर्वी और उत्तरी के साथ दक्षिणी निगम बनाया गया था। लेकिन, संसाधनों के अभाव में निगमों का चलना मुश्किल हो गया था। इसके कारण निगमों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। वर्तमान एवं पूर्व कर्मचारियों और अधिकारियों को वेतन और पेंशन जैसे लाभ नहीं मिल पा रहे थे। एकीकरण होने से हर साल निगमों को करीब 150 करोड़ रुपये की बचत होगी। यह राशि फिलहाल तीन निगम होने से हर विभाग में तीन-तीन अधिकारी तैनात होने से खर्च हो रही थी। अब 75 के बजाय महज 25 समितियां होंगी। वहीं, 78 विभागाध्यक्ष की जगह 26 विभागाध्यक्ष होंगे।
क्या कहा था शाह ने
विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि वह निगमों को प्रताड़ित कर रही है और इससे दिल्ली की जनता पीड़ित हो रही है। यह विधेयक संविधान के तहत प्रदत्त अधिकार के माध्यम से लाया गया है, जिसमें कहा गया है कि संसद को दिल्ली के संघ राज्य क्षेत्र से जु़ड़े किसी भी विषषय पर कानून बनाने का अधिकार है।