सिरसा। (सतीश बंसल) संयुक्त किसान मोर्चा गैर-राजनीतिक के सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ (BKE president) ने वीरवार को बीकेई अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख के साथ गांव साहुवाला प्रथम, पंजुआना, सहारनी में किसानों के खेतों में जाकर बरसात व ओलावृष्टि से हुए नुकसान की जानकारी ली और हरियाणा सरकार से अपील की कि तुरंत प्रभाव से स्पैशल गिरदावरी करवाकर 50000 रुपए प्रति एकड़ किसानों को मुआवजा दिया जाए। इसके साथ-साथ खेत- मजदूर को भी मुआवजा दिया जाए।
सरकार व उसके नुमांइदे समाचार पत्रों और टीवी में बयान देकर सुर्खियां बटोर रहे है, लेकिन धरातल पर किसानों के लिए कुछ नहीं किया है। औलख ने बताया कि हाल ही में बेमौसमी बारिश, तेज हवाओं व ओलावृष्टि के कारण गेहूं, सरसों, जौ, सब्जियों, (BKE president) हरा चारा व बागवानी सहित रबी की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि मेरी फसल-मेरा ब्यौरा का पोर्टल 3 अपै्रल से बंद है, जबकि उपायुक्त का कहना है कि 10 अप्रैल तक पोर्टल खुला है। ऐसे में उनका उपायुक्त महोदय से ये सवाल है कि जब पोर्टल चल ही नहीं रहा तो किसान ऐसे में अपनी जानकारी कहां दर्ज करवाए।
साथ ही औलख ने बताया कि अभी तक प्रशासन की ओर से 71 गांवों के नुकसान की जानकारी ही सरकार को भेजी गई है, जबकि जिले के 100 से अधिक किसानों की फसलें बरसात व ओलावृष्टि से नष्ट हुई है। (BKE president) ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि बजाय किसानों को कागजों व पोर्टल में उलझाने के पटवारियों को खेतों में जाकर स्पैशल गिरदावरी कर किसानों को तुरंत प्रभाव से मुआवजा राशि जारी कर राहत पहुंचाए।
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अभिमन्यु कोहाड़ व लखविंद्र सिंह औलख ने पीडि़त किसानों के रिश्तेदारों से भी आह्वान किया कि वे अपने रिश्तेदारों की हर संभव मदद करें, ताकि विपदा की इस घड़ी में उनकी सहायता हो सके। उनकी मांग है कि फसलों में भारी नुकसान के मद्देनजर आगामी 6 महीनों तक किसानों के लिए सभी प्रकार की किश्तों, ऋणों के भुगतान को बिना ब्याज के स्थगित किया जाए।
बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से फसलों में हुए नुकसान के चलते किसानों को मंडियों में नमी व क्वालिटी की शर्तों में रियायत दी जाए। रबी की फसलों में भारी नुकसान के चलते किसानों को बहुत अधिक आर्थिक नुकसान हुआ है और किसानों को आगामी खरीफ (BKE president) की फसलों की बुआई के लिए आर्थिक संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ेगा, इसलिए किसानों को खरीफ सीजन की बुआई के लिए बीज- खाद पर छूट दी जाए। किसानों के साथ-साथ खेत मजदूरों को भी सरकार मुआवजा दे, क्योंकि वे भी इन फसलों पर ही निर्भर रहते है, फसलों की बर्बादी से उनके व उनके परिवार के खाने-पीने के भी लाले पड़ गए हैं।