नई दिल्ली: ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार सभी ग्रह एक निश्चित अंतराल पर अपनी चाल बदलाव करते रहते हैं। सभी ग्रह किसी भी जातक को उनकी कुंडली में मौजूद स्थिति के आधार पर ही उन्हें शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं। ज्योतिषशास्त्र में ऐसा बताया जाता है की हमारे कुंडली में मौजूद सभी ग्रहों का संबंध हमारी बीमारियों से भी होता है। हर एक ग्रह अलग-अलग बिमारियों के कारक तत्व माने जाते है। यदि व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह शुभ हो तो वह व्यक्ति को आर्थिक लाभ के साथ उसकी सेहत भी अच्छी रखते है। वहीं अगर कुंडली में ग्रहों की स्थिति शुभ नहीं होती तो उन ग्रहो के चलते व्यक्ति को तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक पीड़ा मिलती रहती है। कुंडली में मौजूद किसी भी विशेष ग्रह का कमजोर होना या दूषित होना, जातक को उस ग्रह से संबंधित बीमारियां देने की आशंका बढ़ा देता हैं।
चलिए जानते हैं सभी 9 ग्रहों के कमजोर होने पर किस-किस तरह की बीमारियां पैदा होती हैं। (Astrology)
सूर्य से जनित होने वाली बीमारियां: (Surya)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य (Sun) को सभी ग्रहों का राजा और आत्मा के कारक ग्रह कहा जाता है। व्यक्ति के कुंडली में यदि सूर्य ग्रह कमजोर हो तो व्यक्ति को पित्त, पेट संबंधी रोग,आंखों से संबंधित रोग,ह्रदय रोग और रक्त से सम्बंधित रोग पैदा होने संभावना होती है।
चन्द्रमा से जनित होने वाली बीमारियां: (Chandrma)
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह कहा जाता है। ऐसे में व्यक्ति पर मानसिक तनाव, किडनी से सम्बंधित, मधुमेह, कफ रोग, मूत्र विकार, मुख से सम्बंधित, दांत के रोग, पीलिया, अवसाद और दिल से संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या चन्द्रमा के कमजोर होने पर हो सकतीnहै।
मंगल से जनित होने वाली बीमारियां: (Mangal)
वैदिक ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में मंगल ग्रह का संबंध रक्त से बताया गया है। ऐसे में व्यक्ति के कुंडली में मंगल के अशुभ होने पर व्यक्ति को खून से संबंधित बीमारियां ज्यादा होने लगती हैं। इन सब के आलावा विषजनित रोग, रक्तचाप संबंधित रोग, कण्ठ रोग, मूत्र से सम्बंधित रोग, ट्यूमर, कैंसर, पाइल्स और अल्सर आदि बिमारियों का खतरा होता है।
बुध से जनित होने वाली बीमारियां: (Budha)
ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को वाणी का कारक ग्रह बताया गया है। ऐसे में कुंडली में बुद्ध ग्रह के कमजोर होने पर सीने से जुड़े रोग, खुजली, टाइफाइड, निमोनिया, पीलिया, हकलाने की बीमारी, चर्म रोग आदि से संबंधित बीमारियां होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।
गुरु से जनित होने वाली बीमारियां: (Guru)
व्यक्ति के कुंडली में यदि गुरु कमजोर हो तो उससे व्यक्ति को मोटापे और पेट से संबंधित रोग होने लगते हैं। व्यक्ति को लीवर, किडनी आदि से संबंधित कोई रोग, मधुमेह, पीलिया और याददाश्त में कमी जैसे रोग उभरने की संभावना होती हैं।
शुक्र से जनित होने वाली बीमारियां: (Śukra)
शुक्र ग्रह को संपन्नता और वैभव का कारक ग्रह माना जाता है। इसके अशुभ होने पर व्यक्ति को यौन संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। वहीं इसके अतिरिक्त व्यक्ति को पीलिया, बांझपन, वीर्य संबंधित और त्वचा संबंधित रोग होने का खतरा बढ़ जाता हैं।
शनि से जनित होने वाली बीमारियां: (Shani)
व्यक्ति की कुंडली में अगर शनि ग्रह कमजोर है तो व्यक्ति को शारीरिक थकान, चोट आदि लगने का भय रहता है। बाल से जुड़ी बीमारी भी होती हैं। शारीरिक कमजोरी, शरीर में दर्द, पेट दर्द, घुटनों या पैरों में होने वाला दर्द, दांतों अथवा त्वचा से संबंधित रोग इत्यादि शनि के कारण से होने वाले रोग हैं।
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राहु से जनित होने वाली बीमारियां: (Rahu)
व्यक्ति के कुंडली में राहु के अशुभ या कमजोर होने पर व्यक्ति को मस्तिष्क पीड़ा, बवासीर, पागलपन जैसी बीमारियां होने का खतरा होता हैं।
केतु से जनित होने वाली बीमारियां: (Ketu)
ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार राहु और केतु दोनों ही अशुभ और छाया के ग्रह कहलाते हैं। केतु के कमजोर होने से व्यक्ति को हड्डियों से संबंधित बीमारियां, पैरों में दर्द, नसों की कमजोरी, पेशाब से जुड़ी बीमारी, आकस्मिक रोग की परेशानी, कुत्ते का काटना, रीढ़ से संबंधित समस्या,जोड़ों का दर्द, शुगर, कान से सम्बंधित बीमारी, स्वप्नदोष, हर्निया और गुप्तांग से संबंधी रोग होने की संभावना होते है|
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