नई दिल्ली। पीएम गतिशक्ति: अब 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के सभी लाजिस्टिक्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पीएम गतिशक्ति पहल के तहत गठित नेटवर्क प्लानिंग समूह (NPG) के जरिये किए जाएंगे। इस संबंध में वित्त मंत्रालय ने जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। साथ ही एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान डिजिटल प्लेटफार्म का गठन किया गया है। इस प्लेटफार्म पर प्रोजेक्ट से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध करानी होगी।
वित्त मंत्रालय की ओर से सभी पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड (PIB) और डेलिगेटेड इन्वेस्टमेंट बोर्ड (DIB) को नया प्रारूप भेज दिया है जो 28 अप्रैल से लागू हो गया है। संशोधित प्रारूप के मुताबिक, परियोजना में लाजिस्टिक्स के घटक या बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी होनी चाहिए। एनपीजी की ओर से इसकी जांच होनी जरूरी है। पीएम गतिशक्ति योजना का मकसद विभागों के बीच सामंजस्य की कमी को दूर करना था। साथ ही मल्टी माडल और अंतिम पायदान तक कनेक्टिविटी से जुड़ी परियोजनाओं की समस्याओं का सही तरीके से समाधान करना था। इससे लाजिस्टिक्स लागत में कमी और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को प्रभावी तरीके से आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। योजना के तहत एकीकृत इन्फ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप का गठन किया गया। इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े सभी मंत्रालयों-विभागों के योजना प्रमुखों को शामिल किया गया।
डीपीआर से पहले एनपीजी की मंजूरी जरूरी
संशोधित प्रारूप के मुताबिक, विभागों को विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार करने से पूर्व एनपीजी की मंजूरी लेनी होगी। एनपीजी की मंजूरी के बाद प्रोजेक्ट के लिए आवश्कता के अनुसार, वित्त मंत्रालय और कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी। उदाहरण के लिए, अगर रेलवे किसी विशेष रूट की परियोजना पर काम कर रहा है तो DPR को अंतिम रूप देने से पहले उसे जरूरी सूचनाएं पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान पोर्टल पर देनी होंगी। यहां देखा जाएगा कि प्रस्तावित रूट सार्वजनिकसार्वजनिक प्रोपर्टी, निजी प्रोपर्टी या जंगल या सुरंग या राजमार्ग से होकर गुजरती है। पोर्टल पर 600 लेयर्स से अधिक के आंकड़े हैं।