लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने ट्विटर पर तीन हिंदू संतो को नफरत फैलाने वाला कहने पर आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबेर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि प्रथम दृष्टया जुबेर के खिलाफ अपराध का बनना प्रतीत होता है और इसकी विवेचना की जरूरत है।
यह आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की अवकाशकालीन पीठ ने जुबेर की ओर से प्राथमिकी खारिज करने की मांग करते हुए दाखिल की गयी रिट याचिका को नामंजूर करते हुए पारित किया। याची की तरफ से कहा गया था कि उसके ट्वीट से किसी वर्ग की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती हैं। उसे बेवजह परेशान करने की नीयत से प्राथमिकी दर्ज की गई है।
सरकारी अधिवक्ता ने दाखिल की गई याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याची ने तीन संतों यति नरसिम्हा सरस्वती, महंत बजरंग मुनि व स्वामी आनंद स्वरूप के खिलाफ इंटरनेट मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। जिसके बाद उसके खिलाफ सीतापुर के थाना खैराबाद में आईपीसी की धारा 295ए व आइटी एक्ट की धारा 67 के तहत एक जून 2022 को प्राथमिकी दर्ज की गयी।
याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि मामले में प्राथमिकी को पढ़ने से ही याची के खिलाफ प्रथम दृष्टया अपराध का बनना पाया जाता है। इसलिए इस याचिको को खारिज नहीं किया जा सकता है। साथ ही याची आदतन अपराधी है जिसके खिलाफ चार केसों का आपराधिक इतिहास भी है।
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याची के अधिवक्ता मोहम्मद कुमैल हैदर ने जो दलीलें पेश की हैं उन तथ्यों की सत्यता विवेचना या विचारण में ही साबित हो सकती हैं। इसलिए दर्ज की गई प्राथमिकी को खारिज का कोई औचित्य नहीं है।