बिजनौर। एनआइए के डिप्टी एसपी तंजील अहमद और उनकी पत्नी फरजाना की गोलियां बरसाकर हत्या करने के मामले में कोर्ट ने आरोपित मुनीर और रैय्यान को फांसी की सजा और एक-एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। 2016 में इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। तंजील अहमद पठानकोट आतंकी हमले की जांच टीम का हिस्सा थे। गत दिवस अदालत ने तीन आरोपितों को केस से बरी कर दिया था, जबकि मुनीर और उसके साथी रैय्यान को दोष करार दिया था। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गुनहगारों को कोर्ट लाया गया था।
अदालत ने माना था दोषी
बता दें कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंचम डा. विजय कुमार तालियान ने शुक्रवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआइए) के डिप्टी एसपी तंजील अहमद और उनकी पत्नी फरजाना की हत्या के मामले में आरोपित मुनीर और रैयान को दोषी माना था। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में आरोपित तंजीम, मोहम्मद जैनी और रिजवान को बरी कर दिया है। अपर जिला शासकीय अधिवक्ता आनंद उर्फ अभिनव जंघाला के अनुसार एक-दो अप्रैल 2016 की रात एनआइए के डिप्टी एसपी तंजील अहमद और उनकी पत्नी फरजाना पर उस समय जानलेवा हमला किया गया, जब वह स्योहारा में एक विवाह कार्यक्रम में शामिल होने के बाद दिल्ली लौट रहे थे। हमले में एनआइए अफसर तंजील अहमद की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि उनकी पत्नी फरजाना की इलाज के दौरान दिल्ली में मौत हुई थी।
चल रहा था विवाद
विवेचना के दौरान पता चला कि रुपयों के लेनदेन को लेकर आरोपित मुनीर का एनआइए अफसर तंजील अहमद के साथ विवाद चल रहा था। मुनीर को संदेह था कि एनआइए अफसर उसकी मुखबिरी कर रहे हैं। इसे लेकर मुनीर ने अपने साथी रैयान, तंजीम, मोहम्मद जैनी और रिजवान के साथ मिलकर दोनों की हत्या कर दी थी। इस मामले में शुक्रवार को कोर्ट ने निर्णय सुनाया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंचम डा. विजय कुमार तालियान ने मुख्य आरोपित मुनीर और रैयान को दोषी पाया है। सजा पर कोर्ट शनिवार को फैसला सुनाएगी। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में आरोपित तंजीम, रिजवान और मोहम्मद जैनी को बरी कर दिया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान वादी के अधिवक्ता जितेंद्र सिंह मौजूद रहे।
बचाव पक्ष की ओर से दिया गया तर्क
बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल चौधरी ने बताया कि कोर्ट ने आरोपित तंजीम, मोहम्मद जैनी और रिजवान को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। कोर्ट ने आरोपित मुनीर और रैयान को भी आर्म्स एक्ट सहित एक अन्य मामले में भी बरी कर दिया है। मुनीर और रैयान को हत्या का दोषी पाया है। अधिवक्ता अनिल चौधरी ने बताया कि आरोपित मुनीर और रैयान की तंजील अहमद से किसी प्रकार की कोई रंजिश नहीं थी। एनआइए अफसर तंजील अहमद आतंकवादी तथा अन्य गंभीर मामलों की जांच करते थे, ऐसी संभावना है कि उक्त घटना को किसी अन्य व्यक्ति ने अंजाम दिया है।
मुनीर ने दी थी मारने की धमकी
सुनवाई के दौरान आरोपित मुनीर ने उक्त मामले में वादी रागिब मसूद, गवाह हशीब और मृतक दंपती की पुत्री जिमनीश को गवाही देने पर जान से मारने की धमकी दी थी। धमकी देने के मामले में तीनों गवाहों की ओर से आरोपित मुनीर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। मुनीर पर कई जिलों में 36 गंभीर मामले दर्ज हैं।
2019 से गवाही हुई थी प्रारंभ
उक्त मामले में गवाही 20 नवंबर 2019 से शुरू हुई थी। सरकारी पक्ष की ओर से वादी रागिब मसूद, मोहम्मद हसीब, इनामुलहक, सिपाही मुन्ना बाबू, एसआइ मनोज कुमार, मृतक दंपती की पुत्री जिमनीश, डा. राजेंद्र, डा. सुनील, डा. समीक्षा, डा. सुधीर, एसआइ रूप सिंह, मोहम्मद आजम, डा. आदर्श, विवेचक राजकुमार शर्मा, एसआइ सतीश कुमार, एसआइ संदीप राज, सिपाही रोहित शर्मा, एसआइ कमलेश यादव के बयान दर्ज कराए गए। कोरोना काल में कोर्ट बंद रहने तथा आरोपितों को कोर्ट में पेश करने की अनुमति न होने के कारण लगभग दो वर्ष तक सुनवाई स्थगित रही।