लखनऊ। जल निगम भर्ती घोटाला: समाजवादी पार्टी की सरकार के पूर्व मंत्री व रामपुर से विधायक मो. आजम खां की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। करीब 27 महीने जेल में रहने के बाद जमानत पर छूटे आजम खां पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जल निगम भर्ती घोटाले में एक और मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ईडी ने जल निगम से कई बिंदुओं की विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है।
ईडी के लखनऊ जोन कार्यालय ने जल निगम भर्ती घोटाले में प्रदेश पुलिस के विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) की चार्जशीट के आधार पर प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया है। एसआइटी की चार्जशीट में आजम और जल निगम के तत्कालीन एमडी समेत कुछ अन्य अधिकारियों को आरोपित किया गया है।
सपा नेता आजम खां उस समय नगर विकास मंत्री के साथ-साथ जल निगम के अध्यक्ष भी थे। भर्तियों से संबंधित मामले में उन्होंने जल निगम अध्यक्ष के तौर पर मंजूरी दी थी। हालांकि, एसआइटी के सामने दर्ज कराए गए बयान में उन्होंने गड़बड़ियों के लिए तत्कालीन अधिकारियों को जिम्मेदार बता दिया था। बावजूद इसके एसआइटी ने भर्ती घोटाले में उनकी संलिप्तता मानते हुए कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी।
ईडी ने भर्ती प्रक्रिया के दौरान जल निगम में प्रमुख पदों पर तैनात रहे अफसरों के बारे में जानकारी मांगी है। यह भर्ती घोटाला वर्ष 2016 में सपा के शासनकाल में हुआ था। उस समय जल निगम में सहायक अभियंता, अवर अभियंता व लिपिक के 1342 पदों पर भर्ती में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई थी। बाद में हाई कोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच एसआइटी को सौंपी थी।
एसआइटी की जांच में दोषी पाए जाने के बाद शासन ने आजम खां व अन्य अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने की मंजूरी दी थी। विवेचना के बाद एसआइटी ने सभी आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी थी। ईडी रामपुर के जौहर विश्वविद्यालय, शत्रु संपत्तियों तथा सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे के मामले में पहले से जांच कर रही है। इन मामलों में आजम के खिलाफ मामला वर्ष 2019 में ही दर्ज किया गया था।