पंचकूला, 6 मई- हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला द्वारा केंद्र की इंचार्ज डाॅ. श्री देवी तल्लाप्रगढा के दिशा निर्देशन में गांव पपलोहा ब्लाॅक पिंजौर में किसान प्रशिक्षण (Farmer training camp organized) शिविर का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर केंद्र के वैज्ञानिकों ने गांव पपलोहा के राजकीय उच्च विद्यालय में सीनियर बच्चों से वार्तालाप की और कृषि क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने का आह्वान किया।
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केंद्र के अर्थशास्त्री डॉ गुरनाम सिंह ने किसानों को खेती में बढ़ती लागत को कम करने के तौर-तरीके समझाएं और खेती-बाड़ी का सारा लेखा-जोखा रखने की वकालत की। उन्होंने खेती के साथ-साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन व मछली पालन पर जोर देने की अपील की। उन्होंने दूध प्रसंस्करण व विपणन पर बोलते हुए कहा कि आज भी उच्च गुणवत्ता वाले दूध और दूध से बने उत्पाद की बाजार में बहुत मांग है।
बागवानी विशेषज्ञ डॉक्टर राजेश लाठर ने किसानों से परंपरागत खेती को छोड़कर (Farmer training camp organized) फल, सब्जी, फूल, मसाले वाली फसलें व मशरूम आदि की खेती पर जोर देने की अपील की। डाॅ. लाठर ने बताया कि सब्जी की खेती में किसानों को बड़ी सूजबूझ के साथ रासायनिक खादों व दवाइयों का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि अंधाधुन स्प्रे से मानव स्वास्थ्य पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि बीमारियों और कीड़ों की पहचान मात्र से ही किसानों द्वारा इनकी रोकथाम व प्रबंधन पर होने वाले खर्च को कम किया जा सकता है। डॉक्टर ने बागवानी में ऑर्गेनिक तरीके से उत्पादन करने के अपार अवसर और संभावनाएं बताते हुए कहा कि गुणवत्ता वाले उत्पाद की ही मार्केट में मांग रहेगी, जो बिना रासायनिक खाद व दवाइयों से पैदा किए जा सकते हैं