सिरसा।।(सतीश बंसल) भारतीय किसान एकता बीकेई अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख की अध्यक्षता में बीते 36 दिनों से डीसी दफ्तर के पास धरने पर बैठे गुस्साए किसानों ने सुबह 11 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक डीसी कार्यलय का घेराव कर सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया। किसानों के धरने को समर्थन देने के लिए राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस पार्टी से डा. केवी सिंह, विधायक शीशपाल केहरवाला, राजकुमार शर्मा सहित कई नेताओं के साथ किसानों के बीच सिरसा पहुंचे और किसानों की सभी मांगों को जायज ठहराते हुए संसद में पुरजोर तरीके से मुद्दा उठाने का आश्वासन दिया। बीकेई मीडिया प्रभारी गुरलाल भंगू ने बताया कि बकाया मुआवजा सहित किसानों की ज्यादा मांगें राज्य सरकार तक की हैं। (Farmers Gheraoed The DC Office)
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जिनके लिए वे नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित कई विधायकों को विधानसभा में उठवाने हेतु ज्ञापन सौंप चुके हैं। लेकिन बीटी कॉटन बीज के पैकेट से नॉनबीटी को अलग करने वाली किसानों की मांग जो केंद्र सरकार के अंतर्गत आती है। जिसके लिए प्रधान लखविंद्र सिंह औलख ने राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा से यह मांग विशेष रूप से संसद में उठाने की अपील की। उनका मानना है कि यह कपास के खराबे की खास वजह है। किसानों ने अपनी सभी मांगों को ज्ञापन के रुप में भी दीपेंद्र हुड्डा को सौंपा। इसके अलावा सिरसा की सरपंच एसोसिएशन ने भी किसानों के धरने को समर्थन दिया। सरपंच एसोसियशन की ओर से सरपंच एसोसिएशन हरियाणा की उपप्रधान संतोष बैनीवाल, जिला प्रधान जसकरण सिंह कंग ने कहा कि मोर्चे की ओर से उन्हें जब भी संदेश मिलेगा वे उनका समर्थन करने के लिए पहुंचेंगे। चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी के पास हुए जमीनी विवाद के कारण बर्बाद हुए पीडि़त परिवारों ने लखविंद्र सिंह औलख से मदद की गुहार लगाई। जिनके समाधान के लिए औलख ने उन मजदूर परिवारों का भी दीपेंद्र हुड्डा से मुलाकात करवाते हुए उनका ज्ञापन दिलवाया।
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किसानों के 7 घंटे के डीसी दफ्तर के घेराव के बावजूद भी सिरसा उपायुक्त या कोई भी प्रशासनिक अधिकारी सरकार की ओर से किसानों के बीच कोई सन्देश लेकर नहीं पहुंचा, जिससे नाराज हुए डिंगमंडी के बुजुर्ग किसान ओमप्रकाश ने खुले मंच के माध्यम से आगामी 23 फरवरी से किसानों की मांगें पूरी होने तक आमरण-अनशन का ऐलान कर दिया। धरने पर बैठे हुए सभी किसानों ने हाथ खड़े करके आमरण अनशन के फैसले का समर्थन किया। ओमप्रकाश डिंगमंडी ने कहा कि मेरे बुजुर्गों ने देश की आजादी के लिए कुर्बानियां दी हैं। यदि किसानों के हित के लिए भूख हड़ताल के चलते मेरे प्राण भी चले जाएं तो इसे भी मैं अपना सौभाग्य समझूंगा। परंतु किसानों के हक का पैसा सरकार को हजम नहीं करने दूंगा। (Farmers Gheraoed The DC Office)