नई दिल्ली। केंद्र सरकार के एक आदेश से पावर एक्सचेंज में बिजली की उपलब्धता बढ़ने के आसार है। महंगे विदेशी कोयले से बनने वाली बिजली, पावर एक्सचेंज में 12 रुपये यूनिट तक में मिल सकती है। इससे उत्तर प्रदेश सहित दूसरे राज्यों को भीषण गर्मी में अतिरक्त बिजली जुटाना आसान होगा। देश में विदेशी कोयला से चलने वाली 13 उत्पादन इकाइयों की कुल क्षमता 17,600 मेगावाट है।
भीषण गर्मी से बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने विद्युत अधिनियम की धारा 11 से मिले अधिकार के तहत आदेश जारी कर सभी को अधिकतम क्षमता पर यूनिटों को चलाने के लिए कहा है। चूंकि विदेशी कोयला, घरेलू कोयले से कई गुणा ज्यादा महंगा है इसलिए इन यूनिटों से उत्पादित बिजली भी महंगी होती है। स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि पीपीए (पावर परचेज एग्रीमेंट) के बाद भी यदि संबंधित राज्य महंगी होने के कारण बिजली नहीं लेता है तो उत्पादक अपनी बिजली पावर एक्सचेंज में बेच सकता है। इससे होने वाला मुनाफा, पीपीए वाला राज्य और उत्पादक के बीच 50-50 प्रतिशत बंटेगा।
गौरतलब है कि पिछले दिनों बिजली संकट के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अतिरिक्त बिजली का इंतजाम कर प्रदेशवासियों को शेड्यूल के अनुसार आपूर्ति के निर्देश दिए थे। कारपोरेशन ने पावर एक्सचेंज से अतिरिक्त बिजली लेने की कोशिश भी की लेकिन एक्सचेंज से बिजली न मिल पाने से गांव में 18 के बजाय 10 घंटे भी आपूर्ति नहीं हो सकी थी। केंद्र के ताजा आदेश से महंगी ही सही, एक्सचेंज से कभी भी अतिरिक्त बिजली मिलने की पूरी संभावना रहेगी।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने केंद्र के संबंधित आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले 10 प्रतिशत विदेशी कोयला खरीदने के लिए दबाव बनाया गया और अब विदेशी कोयले से चलने वाली यूनिटों की बिजली से उपभोक्ताओं को तो महंगी बिजली का झटका लगेगा लेकिन बिजली उत्पादक निजी घरानों को फायदा होगा। वर्मा ने ऊर्जा सेक्टर की भलाई के लिए एक बार फिर प्रधानमंत्री से पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराए जाने की मांग की है।