नई दिल्ली। केंद्र ने निजी बैंकों आइसीआइसीआइ, एचडीएफसी बैंक और नेशनल पेमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया (एनपीसीआइ) के आइटी संसाधनों को संवेदनशील मानते हुए क्रिटिकल इन्फार्मेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर के दायरे में शामिल किया है। इलेक्ट्रानिक्स और आइटी मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, अब इन संस्थानों के आइटी संसाधनों में सेंध लगाने वालों को आइटी एक्ट 2000 के सेक्शन 70 के तहत 10 साल जेल की सजा होगी। साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा।
कंप्यूटर संसाधनों को आइटी एक्ट के तहत किया जाता है संरक्षित
मंत्रालय का कहना है कि इन संस्थानों के आइटी संसाधनों को किसी भी प्रकार के नुकसान से राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। अधिसूचना के अनुसार, केंद्र सरकार कोर बैंकिंग समाधान, रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट, नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर को क्रिटिकल इन्फार्मेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर घोषित करती है और इस पर निर्भर कंप्यूटर संसाधनों को आइटी एक्ट के तहत संरक्षित किया जाता है।
कौन कर सकेगा आइटी संसाधनों का इस्तेमाल
अधिसूचना के मुताबिक, अब इन वित्तीय संस्थानों के नामित कर्मचारी, अनुबंधित सेवा प्रदाताओं की अधिकृत टीम के सदस्य और तीसरे पक्ष के वेंडरों की ओर से अधिकृत सलाहकार, नियामक, सरकारी अधिकारी, आडिटर और अधिकृत हितधारक ही आइटी संसाधनों का इस्तेमाल कर सकेंगे।
साइबर हमलों को देखते हुए यह एक सुरक्षित कदम
उत्तर प्रदेश पुलिस की एसपी साइबर अपराध त्रिवेणी सिंह का कहना है कि हाल के साइबर हमलों को देखते हुए बैंकों और वित्तीय संस्थानों को एक संरक्षित प्रणाली के रूप में अधिसूचित करने का यह सही समय है। इसी तरह, सभी बिजली, तेल, हवाई अड्डे, रेलवे, महानगर और परिवहन सिस्टम की नियंत्रण प्रणाली क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर है और इसे संरक्षित प्रणाली के रूप में घोषित किया जाना चाहिए।