इंडोनेशिया ने सोमवार से पाम ऑयल के निर्यात पर लगी रोक हटाने की घोषणा की है. पाम ऑयल दुनिया के सबसे अहम कच्चे माल में से एक है और इंडोनेशिया इसका सबसे बड़ा निर्यातक देश है.
इंडोनेशिया ने पिछले महीने घरेलू क़ीमतें कम करने और अपना स्टॉक बढ़ाने के लिए पाम ऑयल के निर्यात पर रोक लगा दी थी.
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने प्रतिबंध हटाने की घोषणा करते हुए कहा कि इस फ़ैसले से दुनिया में खाद्य तेलों की कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी.
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से दुनिया भर में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति प्रभावित हुई है.
प्रतिबंध हटाते हुए जोको विडोडो ने कहा कि उन्होंने ये फ़ैसला पाम ऑयल उद्योग में लगे क़रीब एक करोड़ 70 लाख कर्मचारियों को राहत पहुंचाने के लिए लिया है.
उन्होंने कहा, “खाद्य तेलों की मौजूदा आपूर्ति और दामों को देखते हुए और पाम ऑयल उद्योग में लगे 1 करोड़ 70 लाख कर्मचारियों, किसानों और मज़दूरों की भलाई में मैंने सोमवार से तेल के निर्यात को शुरू करने का निर्णय लिया है.”
इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा पाम ऑयल उत्पादक देश है लेकिन हाल के महीनों में इंडोनेशिया में भी खाद्य तेलों के दाम बढ़ रहे थे. सरकार पर तेल के दामों में कमी लाने का दबाव था और इसी कारण पाम ऑयल के निर्यात पर रोक लगाई गई थी.
जोको विडोडो ने कहा, “निर्यात के चालू होने के बाद भी सरकार घरेलू स्थितियों पर नज़र रखेगी और सुनिश्चित करेगी कि घरेलू आपूर्ति बनी रहे और दाम नियंत्रित रहे. मैं ये समझता हूं कि दाम अभी भी तुलनात्मक रूप से बढ़े हुए हैं लेकिन मैं ये मानता हूं कि अगले एक सप्ताह में खाद्य तेल के दामों में और कमी आएगी क्योंकि आपूर्ति अच्छी मात्रा में होगी.”
सरकार के पाम तेल निर्यात पर रोक लगाने के बाद इंडोनेशिया के कई शहरों में किसानों ने बड़े प्रदर्शन भी किए थे और निर्यात पर रोक हटाने की मांग की थी.
भारत को मिलेगी राहत
इंडोनेशिया के पाम तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत के लिए मुश्किल हालात खड़े हो गए थे.
ख़ास तौर पर ऐसे वक़्त में जब यूक्रेन युद्ध को लेकर महंगाई की आग भड़की हुई, इंडोनेशिया के इस फ़ैसले ने भारत की चिंता बढ़ा दी थी.
भारत में हर साल 2.5 करोड़ टन खाने का तेल इस्तेमाल होता है, लेकिन घरेलू उत्पादन सिर्फ 1.11 करोड़ टन ही है. मांग और आपूर्ति का फ़ासला क़रीब 56 फ़ीसदी का है. इस कमी को आयात के ज़रिए पाटा जाता है.
भारत बाहर से जो तेल मंगाता है, उसमें सबसे ज्यादा हिस्सा पाम ऑयल का है. लगभग 60 फ़ीसदी. सोयाबीन तेल की हिस्सेदारी 25 और सूरजमूखी तेल की हिस्सेदारी 12 फ़ीसदी है.
रसोई में दिखता नहीं पर हर जगह है पाम
भारतीय घरों में खाना पकाने में पाम ऑयल का सीधे इस्तेमाल भले न होता हो लेकिन ये हर जगह मौजूद है.
अख़बार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के रूरल अफ़ेयर्स और एग्रीकल्चर एडिटर हरीश दामोदरन इसे ‘अदृश्य’ तेल कहते हैं, जो किचन में तो नज़र नहीं आता लेकिन इसका इस्तेमाल व्यापक है. ब्रेड, नूडल्स, मिठाइयों और नमकीन से लेकर कॉस्मेटिक्स, साबुन, डिटर्जेंट जैसे एफएमसीजी उत्पाद बनाने में पाम तेल का ख़ूब इस्तेमाल होता है.
भारतीय घरों में इस्तेमाल होने वाले रिफाइंड तेल में भी ये मौजूद होता है. सोयाबीन, मूंगफली, राइस ब्रान जैसे खाने के तेल में इसकी मिलावट की जाती है. बाज़ार ने इसे एक शालीन शब्द दे दिया है- ‘ब्लेंडिंग’. हालांकि रिफाइंड तेल उत्पादक इस मिलावट की बात से इनकार करते हैं.
सरसों का तेल इतना महंगा क्यों हो गया?
भारत की विडंबना ये है कि यह दुनिया में सबसे ज़्यादा तेल खाने वालों का देश है, लेकिन इस मामले में आत्मनिर्भर नहीं है और निकट भविष्य में भी ये शायद ही अपनी जरूरत घरेलू उत्पादन से पूरी कर सकेगा. बिना तेल के भारतीय भोजन की कल्पना भी नहीं जा सकती.
पिछले कुछ सालों में लोगों का खान-पान भी तेजी से बदला है. बढ़ते शहरीकरण और कामकाज़ी लोगों की तादाद बढ़ने से फास्ट फूड कल्चर तेज़ी से फैला है.
लिहाजा खाद्य तेल की खपत भी बढ़ी है. पिछले पाँच साल में तो देश में खाद्य तेल की खपत में और तेज़ी आई है.
2012 में भारत में प्रति व्यक्ति खाद्य तेल की खपत 14.2 लीटर थी लेकिन अब ये बढ़ कर 19-19.5 लीटर तक पहुंच चुकी है.
विदेशी मुद्रा भंडार पर बड़ा बोझ
भारत कच्चा तेल (पेट्रोल) , गोल्ड के बाद सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भी खाद्य तेल के आयात पर खर्च करता है. 2019-20 में भारत में 1.34 करोड़ टन खाद्य तेल बाहर से मंगाया गया और इसकी कीमत थी 61,559 करोड़ रुपए.
अब यह बिल एक लाख करोड़ रुपए से ऊपर पहुँच चुका है. इसका बड़ा हिस्सा पाम तेल मंगाने में खर्च किया गया था.
ऐसे हालात में पाम तेल के सबसे बड़ा निर्यातक देश (इंडोनेशिया) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा देने से भारत में खाद्य तेलों के महंगे होने की आशंका ज़ाहिर की गई थी.
अब ये उम्मीद ज़ाहिर की जा रही है कि इंडोनेशिया के प्रतिबंध हटाने से भारतीय बाज़ार को भी राहत मिलेगी.
देश में खाद्य तेल के दामों ने शिखर पर पहुँचने के बाद हाल में कुछ नरमी दिखाई है.
अब इंडोनेशिया के प्रतिबंध हटाने से ग्राहकों को कुछ और राहत मिल सकती है.
पाम तेल दुनिया में सबसे सस्ता तेल है और यही एक कारण है कि भारत जैसे बड़े खाद्य तेल उपभोक्ता देश इसका अधिक आयात करते हैं.
हालांकि जब इंडोनेशिया ने बैन लगाया था तब ही भारतीय कारोबारियों ने कहा था कि ये बैन बहुत अधिक नहीं चलेगा.
इंडोनेशिया के बैन लगाने के फ़ैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए वनस्पति तेल उत्पादक और कारोबार संगठन सॉल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉक्टर बी वी मेहता ने बीबीसी से कहा था, ”अभी भारत में हर महीने छह लाख टन पाम तेल आता है. इसमें 50 फ़ीसदी यानी तीन लाख टन इंडोनेशिया से आता है. इंडोनेशिया के पास पहले से पचास लाख टन का स्टॉक है और हर महीने चालीस लाख टन का उत्पादन हो रहा है. स्थानीय खपत महज 15 लाख टन है. सवाल है कि इतने अधिक स्टॉक के लिए जगह कहाँ बचेगी. पाम इंडोनेशिया की विदेशी मुद्रा कमाई का बहुत बड़ा स्रोत है. इसलिए बैन बहुत दिनों तक नहीं टिकेगा.’