नई दिल्ली। तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी विकास दर 13.5 प्रतिशत रही। इस तरह कोरोना पूर्व काल यानी वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही के मुकाबले जीडीपी में 3.8 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया। यदि बाकी मुल्कों की वृद्धि दर के लिहाज से देखें तो पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में दुनिया की शीर्ष 20 अर्थव्यवस्था के मुकाबले भारत की विकास दर सबसे अधिक रही।
बाधाओं के बीच रिकवरी
पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में जीडीपी में 20.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। इसका बड़ा कारण वित्त वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी के चलते समान अवधि में जीडीपी में 23.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज करना था। इस साल भी अर्थव्यवस्था के रास्ते में बहुत सी बाधाएं आई।
वैश्विक उथल-पुथल के बीच सुकून दे रहे ये आंकड़े
फरवरी आखिर में रूस- यूक्रेन युद्ध के शुरू होने से अप्रैल-मई में सप्लाई प्रभावित होने से कच्चे तेल की कीमत से लेकर विभिन्न प्रकार के कच्चे माल में भारी बढ़ोतरी देखी गई थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निजी खपत में अच्छी बढ़ोतरी रही। आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी में निजी खपत की हिस्सेदारी 54 प्रतिशत थी जो चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 59.9 प्रतिशत हो गई।
हालांकि सरकारी खपत की हिस्सेदारी में कमी आई है और पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 12.6 प्रतिशत थी जो इस साल घटकर 11.2 प्रतिशत रह गई। लेकिन फिक्स्ड कैपिटल फारमेशन (सकल स्थायी पूंजी निर्माण) के मद में बढ़ोतरी भविष्य में भी औद्योगिक उत्पादन को लेकर अच्छे संकेत दे रहा है। फिक्स्ड कैपिटल की हिस्सेदारी इस साल अप्रैल-जून में 34.7 प्रतिशत रही जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह हिस्सेदारी 32.8 प्रतिशत थी।
सेवा सेक्टर में बढ़ोतरी से मिली मजबूती
पहली तिमाही में मैन्यूफैक्च¨रग के जीवीए (ग्रास वैल्यू एडेड) में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, लेकिन सेवा सेक्टर में भी पहली तिमाही में दहाई अंक में वृद्धि दर्ज की गई। संपर्क से चलने वाले सेक्टर जैसे कि होटल, ट्रांसपोर्ट, मनोरंजन जैसे सेक्टर में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले खासी बढ़ोतरी रही।
केंद्रीय बैंक के अनुमान से कम रही विकास दर
आरबीआइ और अन्य आर्थिक एजेंसियों के अनुमान से जीडीपी में वृद्धि कम रही। केंद्रीय बैंक ने पहली तिमाही में 16.2 प्रतिशत तो एसबीआइ इकोरैप ने 15.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था। पहली तिमाही में अनुमान से कम विकास दर होने पर इन एजेंसियों को संपूर्ण चालू वित्त वर्ष की विकास दर अनुमान को अब बदलना पड़ सकता है। इन एजेंसियों ने 7-7.5 प्रतिशत की विकास दर का अनुमान लगाया था।
ओवरऑल सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि का अनुमान
आइएमएफ और अन्य एजेंसियों ने सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि का अनुमान लगाया है, वह भी इस बढ़ोतरी दर को लेकर आश्वस्त है। चालू वित्त वर्ष विकास दर सात प्रतिशत से अधिक रहेगी। -टीवी सोमनाथन, वित्त सचिव
सरकारी नीतियों के समर्थन से अर्थव्यवस्था में तेजी
वैश्विक चुनौतियों के बावजूद सरकारी नीतियों के समर्थन से अर्थव्यवस्था में तेजी जारी रहेगी। पहली तिमाही में खपत और निवेश दोनों ही स्तर पर मजबूती से दहाई अंक की बढ़ोतरी दर्ज की गई। -चंद्रजीत बनर्जी, महानिदेशक, सीआइआइ
पहली तिमाही में किस सेक्टर में कितनी रही बढ़ोतरी (जीवीए) में
कृषि और फिशिंग —- 4.8 प्रतिशत
माइनिंग —– 6.5 प्रतिशत
मैन्यूफैक्चरिंग —- 4.8 प्रतिशत
बिजली, गैस अन्य उपयोगी सेवा -14.7 प्रतिशत
व्यापार, होटल, संचार, ट्रांसपोर्ट इत्यादि -25.7 प्रतिशत
रियल एस्टेट व वित्तीय सेवा — 9.2 प्रतिशत
अन्य सेवा (शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन) सुरक्षा — 26.3 प्रतिशत
नियंत्रण में है राजकोषीय घाटा
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने (अप्रैल-जुलाई) में देश का राजकोषीय घाटा पूर्ण वित्त वर्ष के घाटा अनुमान का 20.5 प्रतिशत रहा। गत वित्त वर्ष 2021-22 की समान अवधि में यह घाटा 21.3 प्रतिशत का था। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 6.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।