वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर में कमीशन की कार्यवाही कर रहे एडवोकेट कमिश्नर को बदलने के लिए अंजुमन इंतजामिया मसजिद कमेटी की ओर से सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में शनिवार को प्रार्थना पत्र दिया गया। इस अर्जी पर लंच बाद अदालत में सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया मसजिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने एडवोकेट कमिश्नर के कार्यप्रणाली पर सवाल करते हुए उन्हें बदलने की अपील की।
वहीं, प्रशासन की ओर से मौजूद जिला शासकीय अधिवक्ता ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं के आरोपों पर आपत्ति जताते हुए एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही को संतोषजनक बताया। अदालत ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं और जिला शासकीय अधिवक्ता की दलील सुनने के पश्चात वादी पक्ष और एडवोकेट कमिश्नर से इस पर आपत्ति मांगी है
अदालत का कहना है कि इस प्रकरण में प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी द्वारा एडवोकेट कमिश्नर पर प्रश्नचिह्न लगाया गया है जबकि, प्रतिवादी शासन, प्रशासन व पुलिस आयुक्त की ओर से शासकीय अधिवक्ता द्वारा एडवोकेट कमिश्नर को निष्पक्ष कहा गया है। प्रार्थना पत्र की प्रति अभी तक वादी पक्ष के अधिवक्ताओं को प्राप्त नहीं कराई गई है और न ही एडवोकेट कमिश्नर अपना पक्ष रखने के लिए उपस्थित हुए हैं। ऐसे में न्यायोचित होगा कि प्रार्थना पत्र की प्रति वादी पक्ष को दी जाए। अदालत ने अंजुमन इंतजामिया मसजिद के प्रार्थना पत्र पर अगली सुनवाई के लिए नौ मई-2022 की तिथि मुकर्रर कर दी है।
सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया मसजिद कमेटी के अधिवक्ता अभय नाथ यादव, मुमताज अहमद, रईस अहमद अंसारी ने कमीशन की कार्यवाही कर रहे एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र को बदलने की अपील की। दलील दी कि एडवोकेट कमिश्नर द्वारा सर्वे के दौरान उनकी आपत्तियों पर ध्यान नहीं दिया गया। उनके पक्ष के अधिकृत प्रतिनिधि को मौके पर उपस्थित रहने से मना कर दिया गया।
मस्जिद के पश्चिमी बैरिकेडिंग के बाहर चबूतरानुमा पत्थर के टुकड़े रखे हुए थे, उसे अंगुली से खरोंच कर देख रहे थे। मस्जिद के प्रवेश द्वार पर ताला खुलवाकर वीडियोग्राफी की जिद कर रहे थे जबकि ताला खोलकर बैरिकेडिंग के अंदर वीडियोग्राफी कराने का अदालत द्वारा आदेश पारित नहीं किया गया है। यह भी आरोप लगाया कि छह मई को एडवोकेट कमिश्नर द्वारा निरीक्षण के दौरान न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं थी। वादी पक्ष के अधिवक्ताओं के दिए जा रहे निर्देश के अनुरुप कार्यवाही की जा रही थी। उनके द्वारा लिखित रुप से विरोध किया गया, इसके बावजूद भी कमीशन की कार्यवाही के लिए सात मई की तिथि और तीन बजे का समय निर्धारित किया गया। अधिवक्ताओं ने एडवोकेट कमिश्नर की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए उनके स्थान पर अन्य अधिवक्ता को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने की अपील की।
सुनवाई के दौरान प्रशासन की ओर से उपस्थित जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) महेंद्र प्रसाद पांडेय ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं के आरोपों पर आपत्ति जताया। दलील दी कि छह मई को कमीशन की कार्यवाही सुचारू ढंग से संपादित की गई और संतोषप्रद थी। कमीशन की कार्यवाही करीब दो से ढाई घंटे तक चली। शेष कार्यवाही के लिए सात मई की तिथि पूर्व में नियत की जा चुकी है। इस प्रकरण में अब तक दो एडवोकेट कमिश्नर बदले जा चुके हैं।
कमीशन की कार्यवाही के लिए अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र तीसरे एडवोकेट कमिश्नर हैं। इनके बदलने की दरखास्त विधिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है जबकि एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र न्यायालय के आदेश के अनुक्रम में कार्यवाही को संपादित कर रहे हैं। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं का प्रार्थना पत्र इस स्तर पर आधारहीन है कि महज आरोपित करने एवं कमीशन की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न करने और न होने देने के उद्देश्य से की गई है।