17 फरवरी, 2025 : प्रयागराज महाकुंभ (Mahakumbh) स्थानीय किसानों के लिए किसी सुनहरे अवसर से कम नहीं है। श्रद्धालुओं के लिए हर दिन बनाई जा रही महाप्रसादी के लिए प्रयागराज और आसपास के इलाकों से बड़ी मात्रा में सब्जियाँ, अनाज, दूध और अन्य आवश्यक सामग्रियाँ खरीदी जा रही हैं। इससे किसानों को लाखों रुपए की आमदनी हो रही है, जो उनके आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
इस बार महाकुंभ (Mahakumbh) में अदाणी समूह और इस्कॉन के सहयोग से की जा रही नारायण सेवा ने न सिर्फ लाखों श्रद्धालुओं को भोजन उपलब्ध कराया है, बल्कि स्थानीय व्यापार और कृषि क्षेत्र को भी नई ऊँचाइयाँ दी हैं। सामान्य दिनों में प्रतिदिन 70,000 से 80,000 श्रद्धालु महाप्रसादी का आनंद लेते हैं, जबकि शाही स्नान के विशेष अवसरों पर यह संख्या 2.5 लाख से 3 लाख तक पहुँच जाती है। हर दिन 9,000 किलो सब्जियों का उपयोग किया जाता है, जो शाही स्नान के दिनों में 33,600 किलो तक बढ़ जाता है। इन सब्जियों की आपूर्ति स्थानीय किसानों से की जा रही है, जिससे वे सीधे तौर पर आर्थिक रूप से लाभान्वित हो रहे हैं। इसके लिए लाखों रुपए की सब्जियाँ खरीदी जाती हैं।
ये भी पड़े – कर्मचारियों के मसले हल करने की बजाए , संघर्ष को दबाने की ओर Aam Aadmi Party
इस विशाल सेवा को संचालित करने के लिए 3,000 से अधिक लोग प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं, जबकि हर दिन 1,000 से अधिक लोग भोजन परोसने की सेवा में जुटे हुए हैं। महाकुंभ (Mahakumbh) का प्रभाव सिर्फ श्रद्धालुओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसने 10,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार भी प्रदान किया है। स्थानीय किसान, दूध उत्पादक, सब्जी विक्रेता और छोटे व्यवसायी इस आयोजन से प्रत्यक्ष रूप से लाभ कमा रहे हैं। इससे न केवल उनके जीवन स्तर में सुधार हो रहा है, बल्कि आर्थिक समृद्धि भी बढ़ रही है।
विज्ञापन– क्या आप कलाकार बनाना चाहते है ? क्या आप फिल्म जगत में अपना नाम बनाना चाहते है?
नारायण सेवा के माध्यम से अदाणी समूह और इस्कॉन ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब बड़े संगठन सामाजिक उत्तरदायित्व को समझकर कार्य करते हैं, तो उसका व्यापक और सकारात्मक प्रभाव पूरे समाज पर पड़ता है। महाकुंभ (Mahakumbh) में यह सेवा सिर्फ प्रसाद वितरण तक सीमित नहीं, बल्कि यह रोजगार सृजन और आर्थिक सशक्तिकरण का भी एक सशक्त माध्यम बन गई है।
इस ऐतिहासिक आयोजन ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि जब आस्था, सेवा और रोजगार का संगम होता है, तो पूरे समाज को इसका लाभ मिलता है। प्रयागराज महाकुंभ (Mahakumbh) की यह पहल न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि हजारों परिवारों के जीवन में बदलाव लाने वाली मिसाल भी बन गई है।