आज यानी शुक्रवार को कांग्रेस के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों ने केंद्र (Central) पर जांच एजेंसियों (ED और CBI) के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट (SC) पहुंचीं। वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामला चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने रखा।
मामले पर 5 अप्रैल को होगी सुनवाई
पीठ ने द्रमुक, राजद, भारत राष्ट्र समिति और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता AM सिंघवी की दलीलों पर ध्यान दिया और कहा कि याचिका पर 5 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी। सिंघवी ने कहा कि गिरफ्तारी और बेल पर कोर्ट दिशानिर्देश तय करे। उन्होंने आरोप लगाया कि लगातार विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है।
विपक्षी नेताओं ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
इससे पहले, दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया के गिरफ्तार होने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, समाजवादी पार्टी (SPA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और (Central) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत विपक्ष के नौ नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था।
”हम लोकतंत्र से निरंकुशता में परिवर्तित हो गए हैं”
इस पत्र में उन्होंने कहा था, ”विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसी (ED-CBI) के घोर दुरुपयोग से लगता है कि हम लोकतंत्र से निरंकुशता में परिवर्तित हो गए हैं। 26 फरवरी 2023 को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने बिना किसी सबूत के उन्हें गिरफ्तार किया था. हालांकि, अभी भी CBI द्वारा मनीष के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं फिर भी उनको दिल्ली आबकारी नीति मामले में पुलिस की गिरफ्त में ही रखा हैं|
पत्र लिखने वालों में भारत राष्ट्र समिति (BRS) के प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, (Central) नेशनल कान्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार और शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे भी शामिल हैं. इन सभी नेताओ द्वारा PM मोदी को पत्र लिखा गया|
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भाजपा नेताओं के खिलाफ धीमी गति से होती है कार्रवाई
विपक्षी दलों ने PM मोदी को भेजे पत्र में यह भी कहा गया, जांच एजेंसियां भाजपा में शामिल होने वाले विपक्षी नेताओं के खिलाफ आखिर क्यों धीमी गति से जांच करती हैं. (Central) उदाहरण के लिए, आपको बता दे कि कांग्रेस के पूर्व सदस्य और असम के वर्तमान मुख्यमंत्री (सीएम) हिमंत बिस्वा सरमा की CBI और ED ने 2014 और 2015 में शारदा चिट फंड घोटाले की जांच की थी। लेकिन बिस्वा के भाजपा में शामिल होने के बाद मामला को आगे नहीं बढ़ाया गया।
इसी तरह, पूर्व TMC नेता शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय नारद गोफन ऑपरेशन मामले में ईडी और सीबीआई की जांच के दायरे में थे, लेकिन राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने के बाद मामले आगे नहीं बढ़े। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें महाराष्ट्र के नारायण राणे भी शामिल हैं। (Central) उन नेताओ पर CBI और ED जांच आगे नहीं बढ़ाई जाती जो या तो भाजपा में शामिल हो जाते हैं या भाजपा से ही होते हैं या फिर अगर जांच की भी जाती हैं तो धीमी गति से क्यों की जाती हैं|