कोलंबो। श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Former PM Ranil Wickremesinghe) को एक बार फिर गुरुवार को अगले पीएम के रूप नियुक्त किया गया है। इसके पहले विक्रमसिंघे ने चार बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया है। अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था। हालांकि, दो महीने बाद सिरिसेना ने उन्हें फिर से प्रधानमंत्री के रूप में पुनः स्थापित किया था।
कई अन्य दलों से विक्रमसिंघे को सदन में मिल सकता है समर्थन
सूत्रों ने कहा कि उनके पास अंतरिम प्रशासन का नेतृत्व करने के लिए क्रास पार्टी है जो छह महीने तक चलती है। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी), मुख्य विपक्षी दल समागी जाना बालवेगया (एसजेबी) के एक वर्ग और कई अन्य दलों ने संसद में विक्रमसिंघे के लिए बहुमत दिखाने के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है।
यूएनपी अध्यक्ष वजीरा अभयवर्धने ने कहा है कि विक्रमसिंघे नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद संसद में बहुमत हासिल करने में सक्षम होंगे और वह महिंदा राजपक्षे की जगह लेंगे, जिन्होंने सोमवार को इस्तीफा दे दिया था।
पिछले चुनाव में एक भी सीट नहीं जीती थी उनकी पार्टी
बता दें कि यूएनपी देश की सबसे पुरानी पार्टी है। पिछले चुनावों में एक भी सीट जीतने में विफल रही थी, जिसमें विक्रमसिंघे भी शामिल थे, जिन्होंने 2020 के संसदीय चुनावों में यूएनपी के गढ़ कोलंबो से चुनाव लड़ा था। बाद में उन्होंने संचयी राष्ट्रीय वोट के आधार पर यूएनपी को आवंटित एकमात्र राष्ट्रीय सूची के माध्यम से संसद में अपनी सीट पक्की कर ली थी।
गौरतलब है कि विक्रमसिंघे को व्यापक रूप से एक ऐसे व्यक्ति के रूप में स्वीकार किया जाता है जो दूरदर्शी नीतियों के साथ अर्थव्यवस्था का प्रबंधन कर सकते हैं। विक्रमसिंघे को श्रीलंकाई राजनेता के रूप में माना जाता है जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आदेश दे सकते हैं।