चंडीगढ़, जुलाई 2025: इंटीग्रेटेड रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी, एसएईएल इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड ने अपनी सहायक कंपनी एसएईएल सोलर पी15 प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से पंजाब स्टेट पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) के साथ 400 मेगावॉट (एसी) सोलर पीवी बिजली परियोजना के लिए एक पॉवर परचेस एग्रीमेंट (पीपीए) किया है।समझौते की शर्तों के अनुसार, यह सौर ऊर्जा परियोजना पंजाब में लगाई जाएगी और हस्ताक्षर की तारीख से 24 महीने के भीतर पूरी तरह से चालू होने की उम्मीद है। पीएसपीसीएल इस परियोजना से उत्पन्न होने वाली सोलर बिजली को 2.97 रुपए प्रति किलोवाट-घंटे की दर से 25 साल तक खरीदेगा।
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एसएईएल इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के सीईओ, लक्षित अवला ने कहा, “पीएसपीसीएल के साथ यह समझौता बड़े पैमाने पर सतत ऊर्जा समाधान प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पंजाब में सौर ऊर्जा विकास की अपार संभावनाएँ हैं, और हम राज्य के हरित ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान करने के साथ-साथ क्षेत्र के लिए आर्थिक और सामाजिक मूल्यों के संवर्द्धन के लिए उत्साहित हैं।”किफायती और विश्वसनीय स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ, यह 400 मेगावॉट सौर ऊर्जा परियोजना कार्बन उत्सर्जन को कम करने, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने और समुदाय के लिए दीर्घकालिक लाभ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह परियोजना पंजाब में हाल के वर्षों में विकसित की गई कुछ चुनिंदा बड़े पैमाने की सौर ऊर्जा परियोजनाओं में से एक है, जो राज्य के नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
पंजाब का लक्ष्य 2030 तक 40% नॉन-फॉसिल आधारित उत्पादन क्षमता प्राप्त करने की भारत की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के अनुरूप, राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता का हिस्सा बढ़ाना है। लक्षित ने आगे कहा, “एसएईएल, अपने कृषि अपशिष्ट (पराली) से ऊर्जा (एग्री-वेस्ट टू एनर्जी) उत्पादन संयंत्रों और सौर ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से पंजाब के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सक्रिय योगदान दे रहा है।”
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एसएईएल के पास वर्तमान में पंजाब राज्य में 59 मेगावॉट की स्थापित सोलर आईपीपी क्षमता है, जिसके अंतर्गत वे धनस झील, चंडीगढ़ में फ्लोटिंग सोलर इंस्टॉलेशन और पटियाला में नहर-टॉप सोलर परियोजना जैसी विशेष परियोजनाओं का संचालन करते हैं। एसएईएल राज्य में 160 से अधिक मेगावॉट के कृषि अपशिष्ट-से-ऊर्जा (एग्री-वेस्ट टू एनर्जी) परियोजनाओं का भी संचालन कर रहा है, जो धान की पराली को स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं, और राज्य के भीतर पराली जलाने में कमी लाने की दिशा में