सिरसा। (सतीश बंसल) रंग संस्कार थियेटर गु्रप, अलवर द्वारा (Drama Rabri) आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में 75 दिनों का अलवररंगम थियेटर फेस्टिवल का आयोजन हरुमल तोलानी सभागार में निरन्तर सम्पन्न की ओर गतिमान है, जिसमें भारत ही नहीं बल्कि अन्य राष्ट्रों से नाट्य दल और अभिनेता अपनी नाट्य कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस कड़ी में केएल थियेटर प्रोडक्शन्स के कलाकारों द्वारा 65वें दिन नौशिल मेहता द्वारा लिखित व केएल थियेटर के निदेशक कर्ण लढा द्वारा निर्देशित नाटक रबड़ी का बेहतरीन मंचन किया गया।
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नाटक एक पत्थर तोडऩे वाली महिला चमकू व उसकी मानसिक विकलांग बेटी पंखुड़ी के इर्द गिर्द घूमता है। नाटक के माध्यम से दिखाया गया कि चमकू अपनी मानसिक व शारीरिक रूप से विकलांग बच्ची पंखुड़ी को पढ़ा-लिखाना चाहती है और उसे डॉक्टर बनाने का सपना देखती है। गरीबी के चलते वह सेरोगेसी मां बनने का फैसला लेती है, ताकि उन पैसों से वो अपनी बेटी पंखुड़ी के लिए देखा गया सपना पूरा कर सके।
(Drama Rabri) जब नो महीने बाद एक बेटी को जन्म देती है, लेकिन ये लड़की भी पंखुड़ी कि तरह ही मदबुद्धि पैदा होती है। जिस वजह से उस बच्ची के मां बाप उसे रखने से इनकार कर चले जाते हैं, लेकिन जब चमकू को इस बात का पता चलता है तो वह बहुत ही हिम्मत के साथ उसे अपनाती है और उसे भी अपनी पहली बेटी पंखुड़ी की तरह पढ़ाने-लिखने का फैसला लेती है।
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इस नाटक के माध्यम से दिव्यांग बच्चों को समाज से भिन्न अंग ना समझते हुए उन्हें भी समाज की मुख्यधारा में शामिल कर, उन्हें शिक्षित करने तथा साथ ही महिलाओं व बेटियों को शिक्षित किए जाने का बखूबी संदेश दिया गया। नाटक के भावात्मक दृश्यों ने जहां दर्शकों को भावुक किया, वहीं हास्य के रंग भी बिखेरे। मौजूदा सभी दर्शकों ने नाटक के प्रत्येक किरदार के साथ-साथ नाटक की खूब सराहना की।
(Drama Rabri) नाटक मंचन उपरांत रंग संस्कार थियेटर गु्रप के निदेशक देशराज मीना ने नाटक के प्रत्येक पात्र के अभियन को सराहा, और केएल थियेटर प्रोडक्शंस द्वारा ये प्रस्तुति देकर अलवररंगम का हिस्सा बनने के लिए धन्यवाद व्यक्त किया। इसके बाद रंग संस्कार थियेटर गु्रप और मौजूदा मुख्य मेहमानों द्वारा निर्देशक कर्ण लढा व अन्य सभी कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कलाकारों में कुसुम, दिव्या, प्रिया नीरज व पवनदीप आदि शामिल रहे।