अंबेडकरनगर। शहीद: पांच राजपूताना राइफइल के जवान भगवान सिंह वर्ष 1999 में भारतीय सेना का हिस्सा बने थे। पदोन्नत होकर अब वह नायब सूबेदार बन गए थे। वर्ष 2003 में इनका विवाह दीपमाला सिंह के साथ हुआ था। इनके एक पुत्र यशवीर सिंह व पुत्री स्मृति सिंह है। दोनों अभी पढ़ाई कर रहे हैं। भगवान सिंह इसी वर्ष गत आठ जून को अवकाश पर घर आए थे।
बता दें नगर पंचायत राजेसुलतानपुर के वसुधानगर वार्ड के पोखरभिट्टा के भगवान सिंह जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए बलिदान हो गए। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के मेंढर में ग्रेनेड ब्लास्ट के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए। उनका पार्थिव शरीर सेना के अस्पताल उधमपुर में रखा गया है, जहां से सेना के विमान से वाराणसी लाया जाएगा। इसके बाद वहां से सेना के वाहन से पैतृक गांव लाया जाएगा। उनके बलिदान होने की खबर पहुंचने के बाद गांव में मातम का माहौल है। घर पर ढांढस देने वालों का तांता लगा हुआ है।
कंधों पर थी परिवार के देखरेख की जिम्मेदारी : भगवान सिंह ही घर में नौकरी करते थे। पिता महेंद्र सिंह किसान हैं। माता संवरी देवी गृहणी हैं। चार भाइयों व तीन बहनों में वह दूसरे नंबर पर थे। बड़े भाई राम सिंह, छोटे भाई धनंजय सिंह, मृत्युंजय सिंह भी गांव में रहकर खेती-किसानी करते हैं। पूरे परिवार की देखरेख का जिम्मा इन्हीं के कंधे पर था। दो बहनों का विवाह हो चुका है। छोटी बहन ज्योति के लिए वर की तलाश की जा रही थी।
गांव नहीं पहुंचे प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी : बलिदानी की सूचना मिलने के बाद भी अभी तक प्रशासनिक व पुलिस का कोई अधिकारी गांव नहीं पहुंचा है। आलापुर की उपजिलाधिकारी रोशनी यादव ने बताया कि शव आने के बाद मैं गांव जाऊंगी। अभी शव कहां पहुंचा है और अंतिम संस्कार कहां होगा यह सूचना नहीं दी गई है।
मंगलवार तक पार्थिव शरीर पहुंचने की संभावना : पिता महेंद्र सिंह ने बताया कि सेना के अधिकारियाें से दूरभाष पर हुई बातचीत में बताया कि सोमवार की देर शाम सेना के विमान से वाराणसी एयरपोर्ट पहुंचेगा। मंगलवार की सुबह तक शव के गांव पहुंचने की संभावना है। पिता ने बताया कि अंतिम संस्कार घाघरा नदी के कम्हरिया घाट पर होगा।