‘तिब्बत-चीन दोनों देशो में संघर्ष के चलते सांसदों के एक समूह (Tibet-China Conflict) ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा और सीनेट में एक कानून पेश किया है। इसका मकसद चीन और दलाई लामा के बीच बातचीत शुरू करने के लिए अमेरिका की नीति को मजबूत करना है और साथ ही दोनों देशो के बीच शांतिपूर्वक समस्या का हल निकलवाना हैं। इसके साथ ही यह कानून तिब्बती लोगों के लिए स्वतंत्रता और तिब्बत पर उनके मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान को आगे बढ़ाता है।
‘तिब्बत-चीन संघर्ष अधिनियम के लिए एक संकल्प को (Tibet-China Conflict) बढ़ावा देना’ नाम से बिल को कांग्रेसी जिम मैकगवर्न और माइकल मैककॉल ने सदन में पेश किया। वहीं सीनेटर जेफ मर्कले और टॉड यंग ने इस बिल को सीनेट में पेश किया।
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वार्ता के जरिए मतभेदों को दूर करने का लक्ष्य
इसका मकसद अमेरिकी सरकार को अपने दीर्घकालिक (Tibet-China Conflict) लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाना चाहता है। यह लक्ष्य वार्ता के जरिए शांतिपूर्वक तरीके से तिब्बतियों और चीनी अधिकारियों को अपने मतभेदों को दूर करने का है।
तिब्बती लोगों को सम्मान पाने का अधिकार- मैकगवर्न
मैकगवर्न ने कहा, “तिब्बती ऐसे लोग हैं, जिनका अधिकार है (Tibet-China Conflict) कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत सम्मान पाएं। इसमें आत्मनिर्णय का अधिकार शामिल है, जिसे चीनी सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अस्वीकार कर दिया है।”
उन्होंने कहा, ‘बाइडेन प्रशासन यह तय करने के लिए यूक्रेनियन के अधिकारों के बारे में मुखर रहा है कि वे कैसे शासित होते हैं। लेकिन, (Tibet-China Conflict) तिब्बती लोग संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के तहत इस अधिकार के हकदार नहीं हैं। हमारा द्विदलीय विधेयक टिकाऊ समाधान के लिए बातचीत करने के लिए दोनों पक्षों को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है।’
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2010 के बाद से चीन और दलाई लामा में नहीं हुई बात
यह कानून चीन और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच बातचीत शुरू करना चाहता है। एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा गया है कि साल 2010 के बाद से दोनों के बीच कोई (Tibet-China Conflict) औपचारिक बातचीत नहीं हुई है। चीनी अधिकारियों ने दलाई लामा से आगे की बातचीत की शर्त के रूप में अनुचित मांग करना जारी रखा है।
1959 में विद्रोह के बाद भारत आ गए थे 14वें दलाई लामा
तिब्बत में स्थानीय आबादी के विद्रोह पर चीन ने कड़ी कार्रवाई की थी। ऐसे में 14वें दलाई लामा 1959 में भारत भाग आए थे। भारत ने उन्हें राजनीतिक शरण दी और तिब्बत की निर्वासित सरकार तब से हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से चल रही है। बीजिंग अतीत में दलाई लामा पर “अलगाववादी” गतिविधियों में शामिल होने और तिब्बत को विभाजित करने की कोशिश करने का आरोप लगाता रहा है। (Tibet-China Conflict) चीन दलाई लामा को एक विभाजनकारी व्यक्ति मानता है| लेकिन अमेरिकी सांसदों द्वारा इस कानून को इसलिए पेश किया गया हैं ताकि चीन और दलाई लामा के बीच 2010 के बाद से जो भी बात नहीं हो पाई वह हो सके|