पंचकूला, 6 दिसंबर- महिला एवं बाल विकास विभाग पंचकूला (Good and Bad Touch) द्वारा जिला कार्यक्रम अधिकारी बलजीत कौर की देखरेख में चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के तहत जिला बाल सरंक्षण इकाई मे कार्यरत कानून एवं परीक्षा अधिकारी निधि मलिक ने आज गवर्नमेंट प्राइमरी मॉडल स्कूल सेक्टर 20 आशियाना के बच्चों को जागरूक किया।
आज के समय में महिला अपराध के साथ-साथ बाल अपराध की घटनाएं भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बच्चों के शोषण से जुड़ने वाले बहुत मामले सामने आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में बदलते समय के साथ अब यह जरूरी हो गया है कि बच्चे भी अपनी सुरक्षा को लेकर अलर्ट रहे। बच्चों को इसके प्रति जागरूक होना पड़ेगा क्योकि इसका सबसे पहला कारण होता है कि बच्चे को यह मालूम ही नहीं होता कि उन्हें किस तरह से छुआ जा रहा है। इसलिए परिवार के सदस्यों व टीचर्स के लिए यह जरूरी है कि वह बच्चों को यह सिखाया जाये कि गुड टच और बैड टच में क्या अंतर है ताकि वह खुद जागरूक रहें और समय पर अपने माता-पिता को इस संबंध में सूचित कर सकें।
जागरूकता शिविर के दौरान स्कूल के बच्चों को बाल यौन शोषण क्या है व बाल यौन शोषण का बच्चों पर प्रभाव, बच्चों को शिक्षा संबंधी, सुरक्षित स्पर्श व असुरक्षित स्पर्श की जानकारी दी गई । असुरक्षित स्पर्श से कैसे बचाव किया जा सकता है, यह भी बच्चो को बताया गया। बच्चों को बताया (Good and Bad Touch) गया कि वह किसी भी असुरक्षित स्थान पर अकेले ना जाए व किसी अनजान व्यक्ति से बातचीत ना करें। यदि कोई छोटी व बड़ी उम्र का व्यक्ति उन्हें अकेले में बुलाता है या बाद में किसी अलग जगह पर आने को कहता है तो वह वहां ना जाए। बच्चों को बताया गया कि कोई भी ऐसी गलत हरकत होने पर शोर मचाये, जोर से चिल्लाए। वह इसकी शिकायत अपने घर परिवार के सदस्य व स्कूल में पढ़ाने वाले अपने टीचर को भी कर सकते हैं। यदि बच्चा परिवार व टीचर को बताने में असमर्थ हो तो वह चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098 या 112 पर फोन करके भी अपनी बात साँझा कर सकता है। यह राष्ट्रीय फोन सेवा मुफ्त है ।
बच्चों को बाल यौन शोषण पर आधारित एनिमेटेड फिल्म कोमल देखने के लिए कहा गया। 10 मिनट की इस कोमल फिल्म के माध्यम से बच्चों को ‘नो टच एरियाज’ के बारे में बताया गया (Good and Bad Touch) है कि यह शरीर केवल आपका है और अगर कोई बिना बताए या आपकी सहमति के बिना उसे छूता है तो आप उसका विरोध करें।
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अध्यापको को भी कहा गया कि वह बच्चों कि पहचान करे कि कही कोई बच्चा यौन शोषण के शिकार तो नहीं हो रहा है । यदि बच्चा स्कूल आने का इच्छुक ना हो या किसी से बात करना पसंद ना करें और सबसे अलग रहने लगे तो उन्हें बच्चें पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि ऐसा बच्चा कहीं ना कहीं मानसिक तौर पर परेशान होता है व उसे कोई परेशानी होती है तो एक अध्यापिका ही बच्चे के साथ दोस्त की (Good and Bad Touch) तरह व्यवहार करके बच्चे की परेशानी को साझा कर सकती है। इसके साथ ही बच्चों को बाल अधिकार व बच्चों मे बढ़ रहे लैंगिक अपराधों से सुरक्षा व बच्चों को सही पोषण व स्वच्छता की जानकारी दी गई । बच्चों को दैनिक जीवन में खेल को बढ़ावा देने व मोबाइल फोन से दूर रहने के लिए कहा गया। बच्चे खेल को बढ़ावा देंगे तो उनका शारीरिक व मानसिक दोनों रूप में विकास होगा। बच्चों के अनैतिक व्यवहार के दुरुपयोग के बारे में भी जानकारी दी गई। जागरूकता शिविर के दौरान स्कूल इंचार्ज पिंकी मैम व अन्य अध्यापिका मोजूद रहे।