शाहाबाद(करनाल)। एक मां के सामने उसकी दो फूल जैसी बेटियां जिंदा जल जाए तो उस मां के कलेजे पर क्या गुजरेगी?, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। ऐसी परिस्थिति में एक मां की जैसी व्यथा होनी चाहिए, वैसी ही व्यथा थी लक्ष्मी की। लक्ष्मी बार-बार आग में कूद जाना चाहती थी और अपनी बच्चियों को आग से जिंदा वापस लाना चाहती थी, लेकिन होनी के आगे लक्ष्मी को झुकना पड़ा और विलाप करते-करते कई बार बेसुध हो गई।
आग अभी पूरी तरह से बुझी नहीं थी कि रोती-बिलखती लक्ष्मी आग में जल चुकी बेटियों व झोपड़ी की राख में जा बैठी और अपनी बच्चियों को ढूंढने लगी। जिनको वह सुबह इसी झोपड़ी में सुला कर गई थी। दुर्भाग्य यह था कि वहां न तो झोपड़ी बची थी और न ही दोनों बच्चियां। लक्ष्मी का दर्द लक्ष्मी ही समझ सकती थी। वह अपनी भाषा में दर्द को बयान कर रही थी लेकिन वहां खड़ा हर व्यक्ति उसकी आंखों से गिर रहे आंसुओं से उसकी पीड़ा को महसूस कर रहा था और स्वयं भी आंसू बहा रहा था। मौके पर मौजूद प्रशासनिक, पुलिस अधिकारी व कर्मचारी भी अपनी आंखों से आंसुओं को नहीं रोक पाए। आग में जिंदा जली दोनों बहनों का शोर तक बाहर नहीं आया। उन बेटियों के साथ क्या हुआ होगा यह सोच कर हर किसी की रूह कांप जाती है।
भगवान की कृपा से बच गया सन्नी
अरूप नगर की माया कालोनी में बनी झोपड़ी में जब आग लगी तो उस समय शारदा व राधिका के साथ लक्ष्मी का छह वर्षीय बेटा सन्नी भी झोपड़ी के अंदर ही था। यह सौभाग्य था कि सन्नी सोया नहीं था और खेल रहा था, लेकिन जैसे ही सन्नी ने आग देखी तो वह नन्हा बच्चा झोपड़ी से बाहर की ओर आ भागा। दो बेटियों के जिंदा जलने के बाद लक्ष्मी बार-बार अपने बेटे सन्नी व मन्नी को चूम रही थी। हालांकि मन्नी लक्ष्मी का सबसे छोटा बेटा है और सुबह काम पर जाते समय लक्ष्मी मन्नी को कमर पर बांध साथ ले गई थी।
हेल्पिंग हेंड बनाएगा लक्ष्मी का आशियाना
शाहाबाद की हेल्पिंग हेंड संस्था ने लक्ष्मी का आशियाना बनाने का बीड़ा उठाया है। हेल्पिंग हेंड के प्रधान प्रदीप कुकरेजा ने कहा कि उनका प्रयास होगा कि जल्द से जल्द इस परिवार के लिए आशियाने व राशन पानी की व्यवस्था की जाए।