गाजीपुर। जिले में गैंगवार की लगभग दो दशक पुरानी वारदात मंगलवार की सुबह ताजा उस समय हो गई जब बृजेश सिंह एमपी- एमएलए कोर्ट में पेश हुए। वारदात का वह दौर लोगों के जेहन में ताजा हो उठा जब बृजेश सिंह के कदम अदालत परिसर में पड़े। प्रदेश के इस चर्चित मामले को लेकर अदालत परिसर में कड़ी चौकसी के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई। चप्पे- चप्पे पर पहरा और सतर्क खाकी की निगाहें लग गईं। दोपहर तक परिसर में काफी गहमागहमी का माहौल बना रहा।
अदालत ने दी नई तारीख : गाजीपुर जिले में इस बहुचर्चित उसरी चट्टी कांड के आरोपित बृजेश सिंह मंगलवार को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच एमपी- एमएलए की अदालत में पेश हुए। इस दौरान कोर्ट के पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर होने के कारण इस मामले की सुनवाई नहीं हो सकी और अगली तिथि 29 अगस्त नियत कर दी गई। इस दौरान सुरक्षा को लेकर अदालत परिसर में भारी संख्या में पुलिस बल भी मौजूद रहा।
यह थी वारदात : 15 जुलाई 2001 को मुख्तार अंसारी अपने निर्वाचन क्षेत्र मऊ जा रहे थे। इसी दौरान दोपहर करीब 12.30 बजे उसरी चट्टी पर उनके काफिले पर पहले से घात लगाए हमलावरों ने स्वचलित हथियारों से फायरिंग शुरू कर दी। इसमें मुख्तार अंसारी के गनर की मौके पर ही मौत हो गई थी। हमलावर पक्ष की ओर से भी एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इस दौरान मुख्तार अंसारी के साथ चलने वाले हमराहियों को भी चोट आई थी। इस मामले में मुख्तार अंसारी ने बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह को नामजद करते 15 अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था।
विवेचना के बाद कार्रवाई : इस मामले में विवेचना उपरांत पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ आरोप पत्र प्रेषित किया। इसमें से दो आरोपितों की प्रकरण के विचारण के दौरान मौत हो गई। इसी मामले में बृजेश सिंह को मंगलवार को कोर्ट में पेश होना पड़ा था। इस दौरान सुरक्षा के मद्देनजर कोतवाली पुलिस के साथ ही आसपास थानों की पुलिस व एक प्लाटून पीएसी के जवान तैनात थी। कचहरी परिसर को चारों तरफ से बैरिकेट कर दिया गया था। शहर के प्रत्येक चौराहे पर पुलिस के जवान सुरक्षा कारणों से तैनात किए गए थे।