बीकेई अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने बताया कि एसकेएम गैर राजनैतिक के आगामी कार्यक्रमों को लेकर रतिया में किसान (Farmers) नेता जरनैल सिंह चहल की अध्यक्षता में मीटिंग हुई। 13 फरवरी दिल्ली कूच को कामयाब बनाने के लिए हरियाणा में कई जगह प्रोग्राम किये जा रहे हैं। जिसमें 20 व 21 जनवरी को दिल्ली में एसकेएम गैर-राजनैतिक भारत व उत्तरी भारत की 18 जत्थेबंधियों की मीटिंग होगी जिसमें 13 फरवरी दिल्ली कूच की रणनीति बनाई जाएगी, 23 जनवरी को सोनीपत के भटाना गांव में पंचायत की जाएगीए फतेहाबाद में 22 जनवरी से गुरुद्वारा अजीतसर साहिब रतिया से अरदास विनती करके किसान यात्रा शुरू की जाएगीए 25 जनवरी से सिरसा से किसान यात्रा शुरू की जाएगी।
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इसके अलावा एसकेएम गैर राजनैतिक के आह्वान पर किसान आंदोलन में शहीद हुए युवा किसान नवरीत सिंह व लखीमपुर खीरी के शहीदों सहित सभी शहीद किसानों की याद में सभी जगह 26 जनवरी को कैंडल मार्च निकाला जाएगा। 3 फरवरी को नारनौद की अनाज मंडी में किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। 8 फरवरी को कालांवाली में किसान महापंचायत का आयोजन होगा। एसकेएम (गैर-राजनीतिक) हरियाणा ने हिसार में चल रहे पक्के मोर्चे एवं भट्टू तहसील में चल रहे मोर्चे को भी मजबूत करने का आह्वान किया।
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इस मौके पर जरनैल सिंह चहल, अभिमन्यु कोहाड़, एसपी सिंह मसीतां, गुरदास सिंह लकड़ावाली, सुनील बद्दोवाल, अंग्रेज सिंह कोटली, भोला भाली रोहतक, गुरपाल सिंह मांगेआना, खुशदीप सिंह हैबुआना, रणबीर सिंह, अशोक सहरावत, जगमीत सिंह मौजगढ़, राजेंद्र सिंह चहल किसान नेता उपस्थित थे। ये है किसान आंदोलन की मुख्य मांगें: स्वामीनाथन आयोग के सी2 प्लस फॉर्मूले के अनुसार किसानों की फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए। देश के किसान-मजदूरों का सम्पूर्ण कर्ज माफ किया जाए। (Farmers)
नरमे की फसल को बचाने के लिए नरमे के बीज में सुधार किया जाए, नहीं तो कॉटन वाला किसान बर्बाद हो जाएगा। 2015 में मॉडल एक्ट के माध्यम से 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में जो बदलाव किए गए हैं, वो बदलाव वापस लिए जाएं और नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत हो रही किसानों की जमीन की लूट बन्द की जाए। लखीमपुर खीरी नरसंहार के दोषी गृह-राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी और उसके बेटे को गिरफ्तार किया जाए और घायल किसानों को मुआवजा दिया जाए। भारत सरकार मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाए और भारत सरकार डब्ल्यूटीओ से बाहर आये। किसान आंदोलन की बची हुई मांगें पूरी की जाएं और बिजली संशोधन बिल वापस लिया जाए।