नई दिल्ली: XE वैरिएंट: कोरोनावायरस के लगातार बढ़ते मामलों ने एक बार फिर से लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। ऑफिस के साथ बच्चों के स्कूल भी खुले हुए हैं जिसे लेकर पेरेंट्स बहुत डरे हुए हैं, उन्हें स्कूल भेजने में हिचकिचा रहे हैं। तो कोरोना का नया वैरिएंट बच्चों के लिए कितना खतरनाक है, इसमें किस तरह के लक्षण नजर आते हैं, आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से Dr. Arun Wadhwa, (MBBS, MD, Pediatrics) से..
बच्चों में एक्सई वैरिएंट के लक्षण क्या हैं?
कोरोनावायरल का एक्सई वैरिएंट (XE वैरिएंट) मूल रूप से ओमिक्रॉन का ही एक सब-वैरिएंट है। इसके लक्षणों की बात करें तो अधिकांश बच्चों को तेज बुखार आता है। कुछ बड़े बच्चों में शरीर में हल्के दर्द और सिरदर्द की भी शिकायत होती है। अगर बच्चे गंभीर दर्द, गले में खराश और बुखार के साथ आते हैं, तो उन्हें जांच का सुझाव दिया जाता है कुछ में वायरस का टेस्ट पॉजिटिव भी आता है। आमतौर पर बुखार दो से तीन दिनों तक तेज रहता है। इसके बाद एक या अधिकतम दो दिन तक हल्का बुखार रहता है जो उसके बाद पूरी तरह से कम हो जाता है। किसी नॉर्मल वायरल इन्फेक्शन की तरह कुछ दिनों तक नाक बंद होने की शिकायत रह सकती है।
क्या यह वैरिएंट बच्चों के लिए जानलेवा है?
नहीं, यह वैरिएंट (XE वैरिएंट) बच्चों के लिए अब तक घातक साबित नहीं हुआ है। यह फ्लू, इन्फ्लूएंजा और अन्य मौसमी बुखार सहित किसी भी अन्य वायरल इन्फेक्शन की तरह व्यवहार करता है। हमें एक महत्वपूर्ण बात का ध्यान रखना होगा। बच्चे दो साल से स्कूल नहीं गए और लगातार दो साल तक घरों में रहे, इसकी वजह से बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है। अब जब वे बाहर निकले हैं, तो संक्रमण के कई मामले सामने आ रहे हैं और सभी एक जैसे ही हैं। अभी तक कोविड-19 और मौसमी वायरल के बीच अंतर करना मुश्किल है क्योंकि यह नॉन-डायग्नोस्टिक है। हालांकि, कोरोनावायरस के मामले में दर्द की तीव्रता थोड़ी अधिक हो सकती है।
अब जब स्कूल फिर से खुल गए हैं, तो बच्चों के इन्फेक्टेड होने की आशंका बढ़ गई है, ऐसे में क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
सबसे पहले और महत्वपूर्ण यह है कि बच्चों को कभी भी खुले मैदान में मास्क पहनकर नहीं खेलना चाहिए। यह खतरनाक हो सकता है क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड मास्क में जमा हो सकता है, जिससे ऑक्सीजन का स्तर काफी कम हो जाता है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि वायरस खुले मैदान में तब तक नहीं फैलते जब तक कि बच्चे एक-दूसरे के छींकने/खांसने या चूमने/गले लगाने की कोशिश नहीं करते। नियमित रूप से अपने हाथों को धोने और साफ-सफाई रखने के अलावा, क्लासरूम की तरह किसी भी बंद जगह में मास्क अनिवार्य है।
यह रिपोर्ट हुआ है कि जिन लोगों ने टीका लगाया है, उन पर कोविड-19 की प्रभावशीलता कम हुई है। बच्चों के टीकाकरण पर आपके क्या विचार हैं?
बच्चों को टीका अवश्य लगाया जाना चाहिए। इसका कारण बहुत सरल है। हम हर्ड इम्युनिटी तक पहुंचने की बात कर रहे हैं, जिसका अर्थ है कि कम से कम 80-90% आबादी में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी होनी चाहिए। नहीं तो हम संक्रमण को फैलने से कभी नहीं रोक सकते। बच्चों का टीकाकरण नहीं करने से आबादी का एक बड़ा हिस्सा (कम से कम 20-25%) इम्युनिटी से बाहर रह जाएगा।
डाइट, जो बढ़ा सकते हैं बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता
कुल मिलाकर देखें तो बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है। खासकर 1-5 साल के आयु वर्ग में तो सबसे कमजोर होती है। इस वजह से जब बच्चे स्कूल जाना शुरू करते हैं, तो वे अक्सर बीमार पड़ते हैं। उस समय उनकी इम्युनिटी विकसित हो रही होती है। वास्तव में स्कूल जाने के पहले वर्ष में इन्फेक्शन होने का औसत 8-10 होता है, जो दूसरे वर्ष में 5-6 तक कम हो जाता है और धीरे-धीरे ठीक हो जाता है।
इसके अलावा कुछ खास तरह की सावधानी बरतना भी जरूरी है। बच्चों को बंद कमरे में मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने, अपने हाथों को समय-समय पर धोने और साफ-सफाई रखने के साथ ही खुले मैदान में खेलते समय मास्क हटाने के बारे में सिखाएं।
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