लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रजमान के महीने में रोजा इफ्तार की मेजबानी से कतरा रहे हैं। आजम खां के 14 महीने से जेल में बंद होने के मामले में मुसलमान नेताओं के लगातार मुखर होने से अखिलेश इस बार राजा इफ्तार की मेजबानी नहीं कर रहे हैं। अखिलेश यादव इन दिनों इफ्तार पार्टी में भले ही शामिल हो रहे हैं, लेकिन मेजबान बनने से कतरा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में रमजान माह के दौरान हर तरफ सियासी इफ्तार की धूम रहती है। इस दौरान राजनीतिक दल सामूहिक रोजा इफ्तार पार्टी आयोजित करते रहे हैं। नेता अपने निर्वाचन क्षेत्रों में रोजा इफ्तार का आयोजन करते हैं। इन सबके बीच भी मुसलमान नेताओं को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश के रोजा इफ्तार का इंतजार रहता है। लोगों का इंतजार भले ही लम्बा होता जा रहा है, लेकिन अखिलेश यादव मेजबानी से कतरा रहे हैं।
विधानसभा चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी को करारी शिकस्त के बाद पार्टी में कई मुस्लिम नेताओं ने खुलकर नाराजगी जताई है। अखिलेश यादव के इफ्तार की मेजबानी से कतराने की वजह मुसलमानों की नाराजगी को माना जा रहा है। माना जा रहा है कि इफ्तार का आयोजन होने से मुस्लिम नेताओं को एक साथ मिलने तथा बैठने का मौका मिलेगा तो हो सकता है वह लोग अखलेश यादव के खिलाफ और मुखर हो जाएं। इतना ही नहीं नाराज नेताओं की संख्या बढ़ सकती है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव इसी कारण अभी ऐसा आयोजन करने से बच रहे हैं
समाजवादी पार्टी की रोजा इफ्तार पार्टी को लेकर पार्टी से जुड़े मुस्लिम समाज के लोगों में उत्सुकता है। सपा हर बार भव्य पैमाने पर इफ्तार पार्टी का आयोजन करती रही है। इस बार बदले राजनीतिक माहौल में सपा मुखिया अखिलेश इफ्तार के आयोजनों में जा तो रहे हैं लेकिन उनकी तरफ से इफ्तार का आयोजन कब होगा, इसको लेकर उन्होंने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। अखिलेश यादव भी काफी पसोपेश में हैं। ढाई वर्ष जेल में बंद आजम खां से मिलने नहीं जा रहे हैं। इतना ही नहीं आजम खां को लेकर कोई कदम भी नहीं उठा पा रहे हैं। पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क और आजम खां के करीबी फसाहत अली खां ने आरोप लगाया है कि सपा में मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम समाज की अनदेखी की जा रही है। ï
समाजवादी पार्टी की स्थापना के बाद से ही पार्टी के मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में इफ्तार का आयोजन करते थे। इतना ही नहीं उनके तथा अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री के काल में सीएम के सरकारी आवास, पांच कालीदास मार्ग पर भी इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था। आयोजनों में विभिन्न दलों के मुस्लिम नेताओं के अलावा लखनऊ के प्रतिष्ठित मुस्लिम मौलाना भी शामिल होते थे। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने पर ऐसे आयोजनों का स्थल पार्टी मुख्यालय के बजाए ताज होटल हो गया। अब मुसलमानों को अखिलेश यादव की इफ्तार पार्टी का इंतजार है।